भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बच्चों को लोरी सुनाने पर वो मीठी नींद सो जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर लोरी से नींद क्यों आती है। आखिर क्या वजह है कि अरसे से बच्चों को सुलाने के लिए मधुर धुन या गीत का सहारा लिया जाता है। आज हम इसी बारे में जानेंगे।
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दरअसल ये बात लोरी की नहीं..संगीत की है। संगीत का मनुष्य के मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कई बार आपने भी महसूस किया होगा कि कोई गीत सुनते हुए आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। किसी धुन पर आपका मन उदास हो उठता है तो किसी पर झूम जाता है। यही संगीत का जादू है और ये ही वजह है कि म्यूजिक थेरेपी इतनी प्रचलित होती जा रही है। इसमें दवाओं के साथ लोगों के इलाज के लिए संगीत का भी इस्तेमाल किया जाता है। खासकर मानसिक व्याधियों में ये बहुत कारगर है। महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन संगीत के इतने हिमायती थे कि उनकना कहना था इसे जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना देना चाहिए।
इसीलिए बच्चों को लोरी सुनाई जाती है। इससे वो एकाग्र होते हैं और उनका मन स्थिर होता है। उनका ध्यान धीरे धीरे संगीत पर जा ठहरता है और शरीर की हलचल कम होने लगती है। नन्हें बच्चे और अधिक संवेदनशील होते हैं इसलिए उनपर संगीत का असर जल्द होता है। इसी के साथ उसे अपनी मां या जो भी प्रियजन है, उनकी आवाज भी भाती है। मां की भावुकता भी उसपर असर करती है और इस सारी बातों का घुलामिला प्रभाव है कि बच्चा लोरी सुनकर सो जाता है।