World Braille Day 2022 : दृष्टिहीनों के जीवन में रोशनी है ब्रेल लिपि, जानिए कैसे हुआ इसका अविष्कार

World Braille Day : आज विश्व ब्रेल दिवस है। ब्रेल लिपि के जनक लुईस ब्रेल (louis braille) के जन्मदिन पर विश्वभर में ये दिन मनाया जाता है। ब्रेल उभरे हुए बिंदुओं (Dots) से रची गई भाषा है, जिन्हें नेत्रहीन लोग स्पर्श के द्वारा पढ़ सकते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक इस समय दुनियाभर में 3.6 करोड़ से ज्यादा लोग दृष्टिहीन हैं और इनमें से अधिकांश के लिए पढ़ने लिखने की भाषा ब्रेल लिपि है। ये एक ऐसी भाषा है जिसने नेत्रहीनों के जीवन में शिक्षा को सरल किया है और इसे दुनियाभर में मान्यता प्राप्त है।

लुई्स ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस में हुआ था। 8 वर्ष की उम्र में एक हादसे में उनकी आंखों की रोशनी चली गई। 10 साल की उम्र में उन्हें पढ़ने के लिए  नेत्रहीनों के स्कूल रायल इन्स्टीट्यूट फार ब्लाइन्डस में दाखिला मिला। वहीं उन्हें एक ऐसी कूटलिपि के बारे में जानकारी मिली जिसे अंधेरे में भी पढ़ा जा सकता था। इसका इजाद शाही सेना के सेवानिवृत कैप्टेन चार्लस बार्बर ने किया था। इसी बात से उनके दिमाग में विचार आया कि क्यों न एक ऐसी भाषा बनाई जाए, जिसे नेत्रहीन भी पढ़ सकें। यहीं से ब्रेल लिपि की नींव पड़ी। लुईस ने उनसे मिलने की इच्छा जताई और मुलाकात होने पर उन्होने चार्लस से उनकी कूटलिपि में कुछ संशोधन के प्रस्ताव रखे। इसके बाद 8 साल तक अथक मेहनत से उन्होने इस लिपि में संशोधन किए और 1829 में आखिरकार वो एक ऐसी लिपि बनाने में सफल हुए, जिन्हें नेत्रहीन भी पढ़ सकते थे। हालांकि उनके जीवनकाल में उनकी बनाई भाषा को मान्यता नहीं मिली। 1852 में 43 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।