MP New Pension Rule : मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स के लिए महत्वपूर्ण खबर है। राज्य की मोहन यादव सरकार अब सालों पुराने पेंशन और सेवा नियम में बदलाव करने की तैयारी में है। इसके लिए अवकाश और नए पेंशन नियम लाने जा रही है। संभावना है कि इसे मार्च 2025 से पहले लागू किया जा सकता है।इसका लाभ विभिन्न विभाग में कार्यरत 10 लाख कर्मचारी और 4.50 लाख पेंशनरों को मिलेगा।
मध्य प्रदेश में नए पेंशन नियम लागू करने के लिए वित्त विभाग की समिति ने प्रारूप तैयार किया है।इस पर पेंशन संचालनालय से अभिमत भी लिया जा चुका है।इस संबंध में आज शुक्रवार को एक अहम बैठक भी बुलाई गई है। विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, संचालक पेंशन और विशेषज्ञ के तौर पर भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण के वित्तीय सलाहकार मिलिंद वाईकर शामिल होंगे।
![employee news](https://mpbreakingnews.in/wp-content/uploads/2023/10/mpbreaking13511448.jpg)
क्या है वित्त प्रस्ताव में
- इस प्रस्ताव में परिवार पेंशन, ऑनलाइन प्रक्रिया, और अवकाश नियमों में बदलाव , 25 साल से अधिक उम्र की अविवाहित पुत्री, विधवा, परित्यक्ता को परिवार पेंशन का लाभ देने का प्रविधान प्रस्तावित है।इसके साथ ही पेंशन प्रकरण के साथ सेवा पुस्तिका भेजने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया जाएगा।
- संभावना है कि वसूली के प्रकरण में पेंशन से राशि उसी सूरत में काटने, जिसमें वसूली की सूचना सेवानिवृत्ति के पहले दी गई हो, के नियम को भी शामिल किया जा सकता है।इस प्रक्रिया के तहत सबसे पहले 1976 के पेंशन नियमों में संशोधन किया जाएगा,इन नियमों को 31 मार्च के पहले लागू करने की तैयारी है।
केन्द्र कई बार कर चुका है संशोधन, अब मप्र सरकार की बारी
- अबतक केन्द्र सरकार पेंशनरों से जुड़े नियमों में कई परिवर्तन कर चुकी हैं। इसमें 25 वर्ष से अधिक अविवाहित पुत्री, विधवा, परित्याक्ता को परिवार पेंशन देने का प्रविधान है लेकिन मध्य प्रदेश में अबतक इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने कर्मचारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कर्मचारी आयोग का गठन किया था, जिसे पिछली शिवराज सरकार ने भी बरकरार रखा था।
- इस आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जीपी सिंघल थे, जिन्होंने 3 साल पहले एक रिपोर्ट भी सौंपी थी, इस पर विभाग ने पेंशन संचालनालय से अभिमत मांगा था, जो दिया जा चुका है लेकिन निर्णय लंबित है। इसके चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।