सड़क पर भीख मांग रहा फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला IIT कानपुर से पास आउट 90 साल का बुजुर्ग, लाया गया आश्रम

Gaurav Sharma
Updated on -

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। दिसंबर की सर्द रातों में ग्वालियर (Gwalior) की सड़कों पर एक 90 साल के बुजुर्ग (senior citizen) अपने आप को आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से पास आउट (Pass Out) बता रहे है। आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से मैकेनिकल ब्रांच (Mechanical Branch) में इंजीनियरिंग (Engineering)  करने वाले ये 90 साल के शख्स ग्वालियर (Gwalior) की सड़कों पर लोगों से भीख मांग (Begging) कर अपना गुजारा कर रहे थे। इस बुजुर्ग शख्स ने बातचीत के दौरान दावा किया है के उनके पास आईआईटी कानपुर (IIT kanpur) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है। इस 90 साल के बुजुर्ग ने अपना नाम सुरेंद्र वशिष्ट (Surendra Vashisht)  बताया है, जिनके पिता का नाम छेदा लाल वशिष्ठ है।

मीडिया रिपोर्ट के हिसाब से इस 90 साल के बुजुर्ग को ग्वालियर (Gwalior) बस स्टैंड के पास पाया गया था, जब उनसे बातचीत शुरू हुई तो वह फराटेदार अंग्रेजी में बात करने लगे, जिसके बाद उनसे आगे बात करने पर पता चला कि वे आईआईटी कानपूर (IIT Kanpur) से पासआउट है। जिसके बाद उन्हे तुरंत आश्रम लाया गया और उनके रिश्तेदारों से भी संपर्क करने की पूरी कोशिश की गई। सुरेंद्र वशिष्ठ (Surendra Vashisht) ने बातचीत के दौरान बताया कि वो आईआईटी कानपुर के 1969 बैच के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र है। सुरेंद्र वशिष्ट (Surendra Vashisht) बताते हैं कि साल 1972 में उन्होंने डीबी कॉलेज लखनऊ से एलएलएम भी किया है, उनके पिताजी जेसी मिल में सप्लायर हुआ करते थे, यह मिल 90 में बंद हो गई थी।

सुरेंद्र वशिष्ठ (Surendra Vashisht) को आश्रम स्वर्ग सदन (Ashram Swarg Sadan) में लाया गया, ये वही संस्था है जहां कुछ समय पहले भीख मांगते हुए पाए गए पुलिस अफसर मनीष मिश्रा को लाया गया था। बता दें कि मनीष मिश्रा 1995 के एएसआई थे। साल 2006 में उनकी तबीयत खराब हो गई थी, जिसके बाद वह गायब हो गए थे। उनके साथियों को यह लगा था कि पुलिस मुख्यालय द्वारा उनकी देखभाल की जा रही है, लेकिन वह हालही में सड़क पर भीख मांगते हुए पाए गए थे। एएसआई रह चुके मनीष मिश्रा की पहचान उनके अन्य 2 साथी विजय भदौरिया और रजनी सिंह ने की थी।

सुरेंद्र वशिष्ठ को जिस संस्था को सौंपा गया है उसने उनकी कुछ तस्वीरें साझा की है। फोटो साझा करते हुए लिखा गया कि आत्मविश्वास से भरी हुई आवाज, फराटे दार अंग्रेजी ग्वालियर मिशन स्कूल के टॉपर रहे बुजुर्ग सुरेंद्र वशिष्ठ के कई मित्र एडवोकेट बिजनेसमैन डॉक्टर इंजीनियर है सुरेंद्र वशिष्ठ शिंदे की छावनी बस स्टैंड फुटपाथ पर बहुत ही बुरी हालत में पाए गए हैं

बता दे कि सुरेंद्र वशिष्ठ अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। स्थानीय शिंदे की छावनी के रवि सविता नाम के एक युवक ने सुरेंद्र वशिष्ठ को सड़के के किनारे बड़ी ही दयनिय स्थिति में पाया,जिसके बाद उसने आश्रम स्वर्ग सदन को इसकी सूचना तुरंत दी, जिसके बाद उन्हे संस्था लाया गया। सुरेंद्र वशिष्ठ ने शादी नहीं की है। आईआईटी कानपुर से डिग्री के पाने के बाद सुरेंद्र वशिष्ठ ने कई जगह नौकरी भी की है। सुरेंद्र वशिष्ठ की खास बात से है कि कई जगह नौकरी करने के बाद भी उन्होंने अपनी कमाई का हिस्सा मंदिर और गरीबो की सेवा में इस्तमाल किया है। वो सिर्फ खाने के लिए हि कुछ पैसे अपने पास रखते थे, बाकि दान कर देते थे। वही अभी तक इनके परिवार वालों से कोई कांटेक्ट नहीं हुआ है, अभी संस्था इनकी देखभाल कर रही है।

 


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News