दो दिनों से नहीं मिले डॉक्टर, मरीज हो रहे परेशान, लोकतंत्र सेनानी के साथ समाज सेवियों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

Gaurav Sharma
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memorandum submitted to collector

अलीराजपुर, यतेन्द्रसिंह सोलंकी। जिला अस्पातल में हो रही अव्यवस्था से मरीज़ कितना भी परेशान हो या मजबूरीवश अन्य अस्पतालों में अपना उपचार करवाते हो, लेकिन इससे न तो जिला प्रशासन को कोई फर्क पड़ता है और ना ही जिम्मेदार इस ओर ध्यान दे रहे है। प्रतिदिन जिला अस्पताल के चेम्बरों से गायब होते डॉक्टर और सुविधा के नाम पर होती अव्यवस्था से परेशान होते मरीजों की आवाज़ एक लोकतंत्र सेनानी सुदामा पंवार और समाज सेवियों ने उठाने की हिम्मत दिखाई और जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर को जिला अस्पताल की समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन सौंपने के बाद कलेक्टर ने जिले के स्वास्थ्य महकमे की बैठक भी ली, लेकिन बैठक में कलेक्टर ने सरकारी आंकडों पर ध्यान दिया या अस्पताल के जिम्मेदारों को व्यवस्था में सुधार लाने के निर्देष दिए या फिर ज्ञापन को मात्र कागजी खानापूर्ति मानकर रद्दी की टोकरी में डाल दिया ये एक बड़ा सवाल है।

बहरहाल जिम्मेदारों और जिला प्रशासन के कुंभकर्णीय नींद सोने के बाद लोकतंत्र सेनानी सुदामा पंवार ने जिला अस्पताल में हो रही अव्यवस्था और सुविधाओं की कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर सुरभि गुप्ता को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया गया कि काफी लंबे समय से जिले में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। जबकि प्रतिवर्ष करोडों का बजट जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए मिलता है। बावजूद इसके जिले के मरीजों को मजबूरन पड़ोसी राज्य गुजरात के दाहोद और बड़ोदा में जाकर महंगा इलाज करवाना पड़ता है।

ऐसे में मरीजों को आर्थिक और मानसिक दोनों ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। वही ज्ञापन में दो दिनों से अपने कक्ष में अनुपस्थित डॉक्टरों के खाली कक्ष के फोटो भी सौंपे। जिलामुख्यालय के जिला अस्पताल में व्यवस्था और सुधार में भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के जिला संयोजक तथा लोकतंत्र सेनानी सुदामा पंवार ने अपनी मुहिम आरंभ की तो जिले के पक्ष और विपक्ष की राजनीति के जिम्मेदारों ने भी ज्ञापन में अपने हस्ताक्षर कर जिला अस्पताल की अव्यवस्था पर मौहर लगा दी। जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष वकिलसिंह ठकराला , भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक ओझा, नपा उपाध्यक्ष संतोष (मकु )परवाल, जवाहर जैन,अनिता चैधरी सहित कई बड़े नामों ने अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर अपनी सहमति दी।

व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो बैठेंगे धरने पर

सुदामा पंवार ने बताया कि जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं में सुधार नहीं होने के साथ नियमित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलती है तो मजबूरन बुद्धिजीवी लोगों के साथ धरने पर बैठना पडे़गा। बहरहाल वयोवृद्ध सेनानी सुदामा पंवार की आवाज़ कलेक्टर सुरभि गुप्ता के साथ मुख्यमंत्री के कानों तक पहुंचती है या नहीं देखना दिलचस्प होगा। क्योकि जब से जिले में कलेक्टर के रूप में सुरभि गुप्ता पदस्थ हुई है तब से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर ज्यादा सजग दिखाई नहीं देती है। कभी -कभी कलेक्टर जिला अस्पताल के निरीक्षण के लिए जाती है तो जिला अस्पताल में बरसों से पदस्थ जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया डॉक्टर सीएमएचओ  पीके ढोके अपने अनुभवों से कलेक्टर को संतुष्ट कर देते है। जिसके चलते जिले के स्वास्थ्य महकमें में असुविधाओं को पेंच बाहर ही नहीं आ पाता।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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