मंत्री बिसाहूलाल के विवादित बोल पर राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा में रोष- “माफी मांगे, मंत्री पद से हटाएं”

Lalita Ahirwar
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देवास (बागली) सोमेश उपाध्याय। मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री बिसाहुलाल सिंह (Minister Bisahulal Singh) के विवादित टिप्पणी का असर प्रदेशभर में दिखने लगा है। मंत्री की टिप्पणी के विरोध में अब करणी सेना के बाद क्षत्रिय महासभा भी उतर चुकी है।

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राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा पंजीकृत के प्रदेश मीडिया प्रभारी कुं राजेंद्रपालसिंह सेंगर ने मीडिया से चर्चा में कहा कि मंत्री साहू ने सवर्ण महिलाओं पर बेहद अपमानजनक टिप्पणी की है। उन्होंने अपनी मर्यादा लांघी है। उन्हे कोई अधिकार नहीं बनता कि वे वर्ग विशेष की महिलाओं के लिए इस प्रकार की बात कहें। क्षत्रिय जाति अपने घर और देश की सुरक्षा करना जानती है। इसके लिये मंत्री बिसाहुलाल सिंह को सार्वजनिक माफी मांगनी होगी। प्रदेश मीडिया प्रभारी सेंगर ने कहा कि- बिसाहुलाल सिंह को मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। वास्तव में उनके कथन से जाहिर है कि उनकी खुद की मानसिकता अभी भी कितनी पिछड़ी हुई और समाज में भेद करने वाली है। उन्हें तत्काल माफी मांगनी चाहिए और अपने शब्द वापस लेने चाहिए। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को उन्हे तत्काल प्रभाव से हटाना चाहिए अन्यथा राजपूत और सवर्ण समुदाय कड़ा विरोध करेंगे। प्रदेश सरकार अपने एजेंडे में काम करते हुए सवर्ण समुदाय को भूलने की गलती ना करे तो बेहतर है।

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दरअसल मंत्री बिसाहुलाल सिंह ने अनुपपुर के एक कार्यक्रम में सवर्ण महिलाओं के लिए अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि महिला-पुरुषों को मिलकर काम करना चाहिए। खासकर, जितने बड़े-बड़े लोग हैं… ठाकुर-ठकार और बड़े-बड़े लोग। वे लोग अपनी औरतों को कोठड़ी में बंद करके रखते हैं। बाहर निकलने ही नहीं देते। जितना धान काटने, आंगन लीपने, गोबर फेंकने के काम हैं, ये सब हमारे गांव की महिलाएं करती हैं। जब महिलाओं और पुरुषों का बराबर अधिकार है तो दोनों को बराबरी से काम भी करना चाहिए। सब अपने अधिकारों को पहचानों और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करो। जितने बड़े-बड़े ठाकुर हैं उनके घर जाएं और उनकी महिलाओं बाहर न निकले तो पकड़-पकड़कर उन्हें बाहर निकालें। तभी महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इस टिप्पणी के बाद से ही राजपूत समाज सहित क्षत्रिय जातियों में आक्रोश है।


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