बालाघाट, सुनील कोरे। 27 से 29 अगस्त की दोपहर तक हुई लगातार बारिश और भीमगढ़ से छोड़े गये 2 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी के कारण जिले में बाढ़ के बाद हालात काफी खराब हो गये हैं। वैनगंगा नदी के जलस्तर बढ़ने से आई बाढ़ के कारण तटवर्ती क्षेत्रो के गांवो में पानी भर जाने से कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हो गये है तो खेतों में लगी फसल भी खराब हो गई। सबसे ज्यादा नुकसान वैनगंगा नदी के किनारे जिला मुख्यालय से लगे गोंगलई में मध्यप्रदेश वेयर हाउस एवं लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन के वेयर हाउस में रखे गरीबों को बांटे जाने वाले गेंहू पर चने का हुआ है। एक जानकारी के अनुसार गोदाम में रखे लगभग 6 करोड़ रूपये का गेंहू और चना बाढ़ के पानी में भीगकर खराब हो गया है। ये अनाज अंकुरित हो गया है, जिसके बाद खाने लायक नहीं बचा है।
गोंगलई के म.प्र. वेयरहाउस एवं लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन का वेयरहाउस दो दिनों तक बाढ़ के पानी में डूबा रहा। जिसके कारण इसमें गरीबों को बांटने के लिए रखा गया 6 करोड रुपए से अधिक मूल्य का चना और गेहूं पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। जहां चने और गेंहू में अंकुर फूट गये है वहीं फफूंद भी लग गई है। जबकि वेयर हाऊस के कार्यालय में रखे कुछ दस्तावेज बाढ़ के पानी में बह चुके है तो कुछ बचे दस्तावेजों को सुखाया जा रहा है। ऐसे में विभाग को रिकॉर्ड संधारित करने में काफी दिक्कत परेशानी हो रही है।
गौरतलब हो कि गोदामों में जमा यह चना और गेहूं सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदा गया था। जिसे बाद में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए गरीबों में बांटा जाना था, लेकिन बालाघाट में आई बाढ़ में 6 करोड से अधिक मूल्य की चना और गेहूं पूरी तरह बर्बाद हो रहा है। बोरे पर रखे रखे इस अनाज में अब घुन लगने लगा है। बाढ़ के पानी से महत्वपूर्ण शासकीय दस्तावेज भी खराब हो गये है, जो कुछ दस्तावेज बचे है उन दस्तावेजों का मिलान किया जा रहा है।
बालाघाट में वैनगंगा में आई बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है। सरकारी उपज को करोड़ों रुपए का नुकसान तब हुआ जब ये अनाज बंद गोदाम में रखा गया था। लेकिन बढ़ते जलस्तर और पूरे गोदाम के पानी में डूब जाने के कारण नमी ने अनाज को अंकुरित कर सड़ा दिया। हालांकि यहां का अमला इसे धूप में निकाल कर बचाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन पूरी तरह बर्बाद हो चुके गेंहू और चने को बचाने की कोशिश भी बेमानी है। बाढ़ की तबाही के कारण न सिर्फ खेत और लोगों के मकान ही नहीं अपितु गोदामों में रखा अनाज भी पूरी तरह नष्ट हो गया है। अकेले बालाघाट जिले में 1000 से अधिक मकान गिरे हैं और 100 से अधिक गांव प्रभावित होने की जानकारी है। फिलहाल प्रशासन बाढ़ से हुई क्षति का आंकलन करने में जुटा है।
अधिकारियों और बीमा कंपनी ने किया निरीक्षण
मंगलवार को गोदाम में रखे करोड़ो रूपये के चना और गेंहू भीग जाने की खबर के बाद संबंधित विभाग के अधिकारी और बीमा कंपनी के अधिकारियों ने वेयर हाउस का दौरा किया और वस्तुस्थिति की जानकारी ली। इस दौरान विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। हालांकि उनके बयान सामने आने से यह साफ नहीं हो सका कि नुकसान की वास्तविक स्थिति क्या है। बाढ़ के कारण करोड़ो रूपये के हुए अनाज नुकसान को लेकर लापरवाही की बात भी सामने आ रही है। बताया जाता है कि जब तेज बारिश और भीमगढ़ से पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ आना संभावित था, तो इससे पहले जिम्मेदार अधिकारियों ने स्थिति का आंकलन कर गोदाम में रखे अनाज को बाहर क्यों नहीं निकाला। बहरहाल अब देखना है कि क्षति का आंकलन कितना बताया जाता है।
इनका कहना है
शासन का भंडारित गोदाम हैं जिसमें 9 से 10 हजार बोरा गेहूं और चना बारिश में भीग गये है, इनके अंकुरित हो जाने से यहां 6 करोड रुपये से ऊपर का नुकसान हुआ है।
मनोहर पाटिल, जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम
हम इस अनाज को बाहर निकाल कर सुखाने की कोशिश कर रहे है। पानी में भीगकर अनाज सड़ गया है, जिसे सुखाकर बचाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन इसका बचना संभव नहीं है।
रमेश यादव, श्रमिक