बालाघाट, सुनील कोरे| 6 सितंबर को गढ़ी थाना क्षेत्र के बासपहरा जंगल में कथित नक्सली मुठभेड़ (Naxali Encounter) में मारे गये छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के कबिरधाम जिले के बालसमुंद निवासी झामसिंह धुर्वे की मौत को लेकर जहां पूरा आदिवासी समाज आंदोलित है वहीं अब उसकी मौत पर सवाल खड़े करते हुए नक्सली संगठन भाकपा ने भी घटना को निंदनीय बताया है।
नक्सली संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा गढ़ी और मलाजखंड के जंगलो में फेंके गये पर्चे में 6 सितंबर को कथित नक्सली मुठभेड़ में मारे गये छत्तीसगढ़ के कबिरधाम जिले के बालसमुंद निवासी झामसिंह धुर्वे की मौत की घटना की निंदा की है, नक्सली संगठन माओवादी ने पर्चे में कहा कि गढ़ी थानेदार द्वारा झामसिंह को नक्सली समझकर अंधाधुंध गोलियां चला दी, जिसमें उसकी मौत हो गई, जिसे छिपाने के लिए पुलिस इसे नक्सली मुठभेड़ बता रही है, जिसकी भाकपा घोर निंदा करती है।
गौरतलब हो कि गढ़ी थाना अंतर्गत बासपहरा के जंगल में कथित नक्सली मुठभेड़ में झामसिंह धुर्वे की मौत हो गई थी, जिसमें पुलिस ने बताया था कि नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिलने पर सर्चिंग करने पहुंची टीम को पहाड़ियो पर दिखे नक्सलियों द्वारा फायरिंग करने पर पुलिस ने जवाबी कार्यवाही की थी। जिसमें मारे गये झामसिंह धुर्वे की मौत के बाद आदिवासी संगठन ने इस पर सवाल खड़े करते हुए पुलिस द्वारा बताई गई मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए मामले की जांच और दोषियों पर कार्यवाही को लेकर 15 सितंबर को मुख्यालय मंे एक बड़ा आंदोलन किया था। जिसके बाद जहां सरकार, सीआईडी जांच करवा रही है वहीं जिला प्रशासन द्वारा मजिस्ट्रियल जांच करवा रही है लेकिन इससे भी आदिवासी संगठन संतुष्ट नहीं है वह हाईकोर्ट के जज से न्यायिक जांच और कथित नक्सली मुठभेड़ में शामिल पुलिस और जवानों पर कार्यवाही की मांग कर रहे है। जिसके बीच नक्सली संगठन माकपा द्वारा इस मुठभेड़ को गलत बताकर पुलिस पर झामसिंह को मारने का आरोप लगाया जाना, आदिवासी संगठनों के लगाये जा रहे आरोपो को बल देता है, नक्सली संगठन माकपा ने अपने जारी पर्चे में झामसिंह की तरह ही तत्कालीन एसपी द्वारा 24 नवंबर 2018 को ही गोदरी के जंगल में डाबरी निवासी हीरालाल टेकाम की नक्सली मुठभेड़ बताकर गोली मारे जाने की घटना को पुलिस की दमनकारी आदिवासी विरोधी विचारधारा बताते हुए उसकी निंदा की है।
17 सितंबर को मलाजखंड थाना अंतर्गत समनापुर के बांदाटोला में फरार होते हुए ईनामी नक्सली बादल उफ कोसा मरकाम को साहसिक तरीके से गिरफ्तार किये जाने की पुलिस की थ्योरी पर भी सवाल खड़े किये है, नक्सली बादल को नक्सली संगठन माकपा ने धनियाजोर के जंगल से भगौड़ा बताया है, संगठन के मिले पर्चे में बताया गया है कि वह रातो-रात कायराना तरीके से फरार हो गया, वह गद्दार और लालची है, जिसने जनता और माकपा का अपमान किया है, जिसे जनता कभी माफ नहीं करेगी। जिसे पुलिस मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किये जाने की जो बात बता रही है वह झूठी है और झामसिंह की मौत पर पर्दा डालने की कोशिश है। जिसकी भी माकपा घोर निंदा करती है।
नक्सली संगठन माकपा के पर्चे मिलने की बात पुलिस अधीक्षक एसपी ने स्वीकार की है, उन्होंने कहा कि जंगलो से पर्चे मिले है, जिसकी जांच की जा रही है।