बालाघाट, सुनील कोरे। दक्षिण भारत को जोड़ने वाली बहुप्रतिक्षित गोंदिया-जबलपुर ब्राडगेज का काम लगभग पूरा हो गया है, अब केवल इंतजार है तो इस मार्ग पर यात्री ट्रेन दौड़ने का। बहुप्रतिक्षित इस परियोजना के लिए जिलेवासियों को लंबा इंतजार करना पड़ा है, लेकिन अब जिलेवासियों को ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा।
ब्राडगेज के अंतिम फेस में लामता से समनापुर के बीच हुए अमान परिवर्तन के कार्य के साथ ही इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य भी पूरा हो गया है। जिसका 31 अक्टूबर को सीआरएस होना है, इसके बाद जबलपुर से दक्षिण भारत के लिए सीधी ट्रेन चलने का रास्ता साफ हो जायेगा। यह रेलखंड खुलने से दक्षिण भारत जाने वाली ट्रेनों के लिए लगभग 300 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी।
रेलवे विभाग से मिली जानकारी अनुसार 31 अक्टूबर को समनापुर से लामता गेज कंर्वेशन और इलेक्ट्रिफिकेशन कलकत्ता सीआरएस करेंगे। जिसमें पहले प्रातः 9 बजे से लामता से समनापुर के बीच मोटर ट्राली से इंस्पेक्शन किया जायेगा। जिसके बाद दोपहर 2.45 बजे समनापुर से स्पेशल सीआरएस होगा। जिसमें स्पीड ट्रायल इंस्पेक्शन किया जायेगा। जिसमें इलेक्ट्रिक इंजन दौड़ाकर पटरियों की क्षमता का आंकलन किया जायेगा।
दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे के हिस्से में नैनपुर-बालाघाट ब्रॉडगेज लाइन के साथ ही इलेक्ट्रिफिकेशन का काम लगभग पूरा हो गया है। गौरतलब हो कि लामटा-समनापुर के बीच के रेल ट्रैक कार्य पूर्ण होने के बाद कई बार इसमें सीआरएस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इंजन ट्रायल किश्स जा चुका है, जानकारी अनुसार मार्ग पर 100 से लेकर 105 कि.मी.की स्पीड से इंजन दौड़कर ट्रायल किया जा चुका है।
तेजी से गेज कंर्वेशन और इलेक्ट्रिफिकेशन का किया गया कार्य
जिले की बहुप्रतिक्षित गोंदिया-जबलपुर अमान परिवर्तन परियोजना में विभिन्न खंड में किये गये कार्य में लामता से समनापुर के बीच काफी तेजी से पटरी बिछाने से लेकर इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य किया गया। जिसके चलते जल्द ही लामता और समनापुर के बीच पटरी बिछाने और इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य लगभग पूरा हो गया है। जिसको लेकर रेलवे अधिकारियों ने सीआरएस से पूर्व रेल ट्रैक पर गति मापक यंत्र के साथ समनापुर से लामटा के बीच तेज गति से रेल का चलाया गया। जिससे भी पटरियों की मजबूती और उसकी क्षमता का आंकलन किया गया।
सीआरएस की हरी झंडी का इंतजार
गोंदिया-जबलपुर बहुप्रतिक्षित अमान परिवर्तन परियोजना में कल 31 अक्टूबर हो होने वाले सीआरएस और उनकी हरी झंडी का इंतजार है, जिसके बाद प्रायोगिक तौर पर रेलवे विभाग मालगाड़ी का संचालन कर सकें। ताकि ट्रेक की मजबूती के बाद उस पर यात्री ट्रेन दौड़ाई जा सकें। चूंकि यह ट्रेक न केवल जिले की जनता के लिए बहुपयोगी है अपितु रेलवे विभाग के लिए भी दक्षिण भारत की दूरियों को कम करने मंे भी एक बड़ा मददगार ट्रेक है, जिससे न केवल लोगों का समय बचेगा, अपितु यात्रा का आर्थिक भार भी कम होगा। जानकारों की मानें तो 31 अक्टूबर को रेलवे सेफ्टी आयुक्त (सीआरएस) के निरीक्षण और उसके मार्ग पर ट्रेन दौड़ाये जाने की हरी झंडी के बाद संभवतः दिसंबर तक इस मार्ग पर यात्री ट्रेन के चलने का जिलेवासियों का वर्षो पुराना सपना पूरा हो जायेगा। जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार है।