बैतूल, वाजिद खान। एक गांव में कोरोना के बढ़ते मरीजो की संख्या के बीच जनता लॉकडाउन का फैसला लिया गया है। गांववालों ने स्वेच्छा से 10 दिन के लॉकडाउन (lockdown) का फैसला लिया, जिसे प्रशासन ने भी अनुमति दे दी है। इसके बाद ग्रामीणों ने गलियों में बेरीकेट्स लगा दिए हैं और कोई भी घर से बाहर नहीं निकल रहा है। कोरोना की चेन तोड़ने के लिए 1 से 10 अप्रैल तक ये लॉकडाउन प्रभावी रहेगा।
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बैतूल के एक गांव में ग्रामीणों ने कोरोना की चेन तोड़ने के लिए स्वेच्छा से 10 दिन का लॉक डाउन लगा दिया है। जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर और बैतूल परतवाड़ा मार्ग पर स्थित खेड़ी सावलीगढ़ की जनसंख्या आठ हजार है। इस गांव में वर्तमान में कोरोना के 27 एक्टिव केस है और यहां पर 4 लोगों की मौत हो चुकी हैं। जिसके बाद ग्रामीणों ने, ग्राम पंचायत और व्यापारियों ने मिलकर निर्णय लिया कि संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन ही अच्छा उपाय है।
दरअसल महाराष्ट्र की सीमा से लगे बैतूल जिले में भी कोरोना बेकाबू हो गया है। यहां पर प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की औसत संख्या 65 हो गई है। सिर्फ मार्च के महीने में खेड़ी सावलीगढ़ में 18 कोरोना मरीज पाए गए थे,जिसमें एक परिवार के 10 सदस्य शामिल थे । मरीजों की संख्या बढ़ते देख ग्रामीणों ने लॉकडाउन जैसा कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने स्वैच्छा से लॉकडाउन लगाने का प्रस्ताव प्रशासन के सामने रखा। क्योंकि स्वेच्छा से लॉकडाउन लगाना था इसलिए प्रशासन ने सहमति दे दी है। ग्रामीणों ने खेड़ी सावलीगढ़ के गांव की गलियों में बैरिकेट्स भी लगाए हैं। 1 अप्रैल से 10 अप्रैल तक लगे इस लॉकडाउन में गांव की सभी दुकानें बंद है और लोग भी घर से नहीं निकल रहे हैं।