बैतूल, वाजिद खान। जिला चिकित्सालय के पास बच्चों के लिए पीआईसीयू का कोई इंतजाम नहीं है। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्चों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जाती रही है। ऐसे में इससे निपटने की तैयारियों पर दावे और वादे भी सामने आते रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है।
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बैतूल में संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए न तो पीआईसीयू है और न कोई जरूरी इंतजाम। ऐसे में एक लाख 30 हजार नौनिहालों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। बैतूल जिले में 0 से 6 साल की उम्र के एक लाख 30 हजार बच्चे हैं। लेकिन उनपर एक भी पीआईसीयू नही है। यहां तक कि निजी क्षेत्र में भी इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। इसके लिए या तो 200 किमी दूर भोपाल या फिर इतनी ही दूर नागपुर में व्यवस्थाएं है। ऐसे में जब सरकार थर्ड वेव से निपटने की तैयारियां करने का दावा कर रही है, पीडियाट्रिक ICU का न होना बड़ा सवाल पैदा कर रहा है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ नितिन देशमुख की मानें तो अगर तीसरी लहर आती है तो यह खासतौर पर बच्चों पर असर डाल सकती है। ऐसे में सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं सामने आ सकती है जिसके लिए पीडियाट्रिक आई सी यू की बेहद जरूरत है। क्योंकि बच्चे जितनी जल्दी गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं, अगर सही इलाज मिल जाए तो उतने ही जल्दी रिकवर भी करते हैं। जरूरी यही है कि उन्हें रिकवरी के लिए आवश्यक संसाधन मिले। लेकिन बैतूल में यह उपलब्ध नहीं है। इसके लिए 200 किमी दूर नागपुर या भोपाल कर अस्पतालों पर निर्भरता है। गंभीर होने पर अगर समय पर पीआईसीयू नही मिला तो यह मौत का कारण भी बन सकता है। इधर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अशोक बारंगा का कहना है कि उनके पास वयस्कों के लिहाज से तो आईसीयू है लेकिन बच्चों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। चूंकि बच्चों के पीआईसीयू में हर उपकरण बच्चों के लिहाज से होता है। शासन ने उनसे जानकारी मांगी है कि यहां क्या व्यवस्था या उपकरण है। लेकिन हमारे पास न कोई व्यवस्था है और न उपकरण। जैसे ही शासन से उपकरण प्राप्त होते है हम पीआईसीयू बनाकर चलाने की स्थिति में होंगे।