वाजिद खान।बैतूल।
कोरोना का खौफ अब आम लोगो से निकल कर सुरक्षित समझी जाने वाली जेलों तक पहुंच गया है। लोगो को अपने अपराधों से खौफजदा करने वाले अपराधी भी अब इसके खौफ से कांप रहे है। लेकिन मध्यप्रदेश के बैतूल में ज़िला जेल के बंदियों ने अपनी अपराधी छवि से हटकर कोरोना से खुद को और आमजन को बचाने की शानदार पहल की है। वे खुद के लिए तो मास्क तैयार कर ही रहे है अब आम नागरिकों के लिए भी मास्क बनाने की तैयारियों में जुटे है।
बंदियों को कोरोना के कहर से बचाने के लिए ज़िला जेल प्रबंधन ने सेनेटाइजेशन और मास्क का इंतज़ाम किया है ।ज़िला जेल में बंद पांच सौ दो बंदी जिनमे महिला पुरुष शामिल है उनके लिए मास्क देने के लिए जब ज़िला अस्पताल से मांग की गई तो ज़िला अस्पताल ने मास्क की कमी बताते हुए मना कर दिया । मास्क नही मिलने पर जेल प्रबंधन ने जेल में बंद कुछ बंदियों को मास्क बनाने के लिए सामग्री दी और इसके बाद बंदियों ने इंसानियत की मिसाल पेश कर अपनी मेहनत से सभी बंदियों के लिए मास्क बना दिये । जेल प्रशासन ने इन मास्क को सेनेटाइजेशन करके सभी पांच सौ दो बंदियों को मास्क वितरित कर दिए।
ज़िला जेल में बन रहे मास्क मुलताई के उप जेल में बंद बंदियों को सौ मास्क भी भेजे जा रहे है । ज़िला जेल बैतूल में उच्च अधिकारियों के निर्देश पर कई व्यवस्थाओं में बदलाव किया गया है। अभी तक जहां बंदियों से सिर्फ तीन परिजनों को मिलने की व्यवस्था चली आ रही थी, वहीं कोरोना के संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए बंदियों से मात्र एक परिजनों को ही मिलने की अनुमति दी जा रही है। परिजनों को जेल परिसर में हाथ धोने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। जेलर योगेन्द्र पंवार ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से अपने बंदियों को बचाने और उनकी हिफाज़त करने के लिए ज़िला जेल में ही 10 मशीनों के जरिए मास्क का निर्माण बंदियों द्वारा किया जा रहा है।
प्रथम चरण में जिला जेल में सजा सज़ायाफ्ता और विचाराधीन बंदियों के लिए मॉस्क बनाए जा रहे है। इसके अलावा निर्मित किए गए मॉस्क जेल के बाहर भी लोगो को दिए जाएंगे । ज़िला जेल के भीतर बंदियों के हाथ धोने के लिए तीन वॉशबेसिन लगवाए गए है और बंदियों से मिलने आने वाले परिजनों के लिए वॉश बेसिन की व्यवस्था की गई है। यह भी बताया कि प्रतिदिन नए बंदियों की आमद भी जेल में होती है और ऐसे बंदियों के हाथ धुलवाने के बाद ही उन्हें अंदर प्रवेश दिया जा रहा है। खास बात यह है कि नए बंदियों के लिए एक अलग बैरक की व्यवस्था की गई है, जहां 15 दिनों तक इन बंदियों को रखने के बाद अन्य बैरकों में प्रवेश दिए जाने की व्यवस्था की गई है, ताकि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोका जा सके।