बैतूल – प्रसूता महिला की मौत, डॉक्टर बोले डिलेवरी के बाद नहीं लगे टाके

Gaurav Sharma
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बैतूल,वाजिद खान। बैतूल जिला चिकित्सालय में प्रसूता की मौत पर परिजनों ने जो लापरवाही के आरोप लगाए है, उसकी जांच शुरू हो गई है, लेकिन जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने यह भी माना है कि प्रसूता सुमन यादव की मौत का कारण ब्लड नहीं था। अगर डिलेवरी के बाद चिचोली में समय पर टांके लग जाते तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। इस मामले में चिचोली बीएमओ का यह कहना है कि हम जो कर सकते थे, हमने पूरी कोशिश की।

दरअसल, गुरूवार की सुबह चिचोली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से रैफर होकर जिला अस्पताल आई प्रसूता सुमन यादव की एक घंटे चले इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इसको लेकर सुमन यादव के भाई पवन यादव ने आरोप लगाया था कि समय पर ब्लड नहीं मिलने के कारण उनकी बहन की मौत हो गई। इस मामले को लेकर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा से विस्तृत चर्चा की, जिसमें उन्होंने बताया कि मेरे संज्ञान में जो बात आई है, जो कि लगभग पूरी तरह सही भी है।

चिचोली सीएचसी में डिलेवरी हुई थी, जिसमें डिलेवरी ऑपरेशन से होनी थी, लेकिन नॉर्मल डिलेवरी होने के कारण प्रसूता के अंदरूनी हिस्सों में कटा-फटा घाव बन गया। रात का मामला था, उनने इनको रिपेयर नहीं किया और सुबह जिला अस्पताल बैतूल रैफर किया गया। जिला अस्पताल बैतूल आने पर रिपेयर किया गया और लगभग 1 घंटे के अंदर जो प्रोसिजर की गई और शॉक इम्प्रुवमेंट के प्रयास किए गए।

साथ ही ब्लड की डिमांड भी जनरेट की गई, लेकिन इस एक घंटे के दरम्यान ब्लड देने की प्रक्रिया स्वभाविक है कि पूरी नहीं हो सकती है और उनके द्वारा इल्जाम लगाया गया कि ब्लड की आपूर्ति नहीं की गई। वास्तविकता यह है कि इन कटे-फटे घाव से काफी ज्यादा खून पहले ही बह चुका था। पेशेंट बहुत ज्यादा शॉक में था। प्रथम दृष्टया मेरे हिसाब से घाव में अगर तत्काल वहां टांके लग जाते तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती। फिर भी जैसा कि आरोप लगाया गया है, इसकी जांच कराई जा रही है।

सिविल सर्जन की माने तो यह मौत ब्लड के कारण नहीं हुई। सीएचसी में प्राथमिक उपचार सही ढंग से नहीं मिलने के कारण हुई है। इधर, चिचोली बीएमओ डॉ. राजेश अतुलकर ने बताया कि डिलेवरी के बाद प्रोटोकॉल के तहत जो भी हम कर सकते थे, हमने किया। मौजूद स्टाफ नर्स ने हमको भी बुलाया था और तत्काल प्रसूता को इंजेक्शन भी लगाए गए। हीमोग्लोबिन ठीक था, लेकिन खून ज्यादा बह जाने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। हमारे या हमारे स्टाफ की किसी भी तरह की लापरवाही नहीं है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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