भिंड| लाजपत राय अग्रवाल| लगातार सातवी बार चुनाव जीतने वाले लहार से कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ.गोविंद सिंह को प्रदेश सरकार में मत्वपूर्ण दर्जा मिलेगा। उन्हें विधानसभा का मुखिया यानि अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चा चल पड़ी है। बहरहाल यह तो गोविंद सिंह ही बता पाएंगे कि उनके लिए मुफीद क्या है?
समाजवादी पृष्ठभूमि से कांग्रेस में आए डॉ.गोविंद सिंह का कद निरंतर बढ़ा है। वे लगातार सातवी वार लहार विधानसभा क्षेत्र से विजयी हुए हैं। इस बीच उन्हें शिकस्त देने के लिए वर्ष 1998 में रावतपुरा महंत रविशंकर महाराज के सानिध्य में चुनाव मैदान में पूर्व मंत्री रमाशंकर सिंह को भी हार का मुंह देखना पड़ा था। रमाशंकर सिंह को भाजपा ने भी अपना समर्थन दिया था इसके बाद भी गोविंद सिंह को चुनाव नहीं हराया जा सका। अलबत्ता गोविंद को हराने के चक्कर में दो बार भाजपा अपनी जमानत तक गंवा चुकी है। वर्ष 2013 और 2018 में भाजपा ने रसाल सिंह के रूप में तुरुप का इक्का चला लेकिन वह भी कारगर नहीं रहा। रसाल सिंह तत्कालीन रौन विधानसभा से एक बार समाजवादी पार्टी और दो बार भाजपा से विधायक जरूर रहे हैं लेकिन लहार में उनके सजातीय वोटबैंक के अलावा कुछ नहीं है।
भाजपा नहीं खोज पाई गोविंद की काट
वर्ष 2003,2008, 2013 में निरंतर भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़ी है लेकिन लहार से भाजपा की जीत दिवास्वप्न ही साबित हुई है। इतना ही नहीं पार्टी का कोई भी कद्दावर नेता लहार से चुनाव लड़ने की हिम्मत भी नहीं दिखा सका। इसीलिए डॉ.गोविंद सिंह की ताकत में इजाफा होता रहा। इस बार तो वे सबसे ज्यादा वोट यानि करीब नौ हजार से जीते हैं।
गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं गोविंद
वर्ष 1998 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासन में डॉ.गोविंद सिंह गृह राज्य मंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं। इसीलिए इस बार उनका गृह मंत्री की सीट पर दावा ज्यादा मजबूत दिखाई पड़ रहा है। अगर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया तो उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी। लहार में गोविंद युग की शुरूआत वर्ष 1990 से हुई है तब से लहार उनके भरोसे पर ही चल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लहार की जनता ने उन्हें निराश नहीं किया तो गोविंद सिंह से भी किसी के मन में खटास नहीं आई। कांग्रेस के अजेय दुर्ग लहार को लेकर भाजपाईयों के पास भी कहने के लिए कुछ नहीं है। सबकी बोलती बंद हो गई है।
विकास की आस अब गोविंद से
भिंड जिले में अगर यर्थाथ रूप से देखा जाए तो रेत का अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा बना रहा है, गोविंद सिंह ने भी समय समय पर अवैध खनन के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई है। इस बार वे लहार से लेकर नयागांव तक हो रहे अवैध खनन और सिंध नदी को खोखला कर रहीं पनडुब्बी के ऊपयोग पर रोक लगवा पाएंगे या यह खनन बदस्तूर रहेगा, यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी।