9 मई को अचानक ड्यूटी के दौरान आलोक को दिल का दौरा पड़ा। जिसके बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए वायुसेना हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इस दौरान उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो चिकित्सकों ने आलोक को वेंटिलेटर पर लिया और करीब दो हफ्तों तक जीवन और मौत के संघर्ष के बाद भी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। शुक्रवार-शनिवार की रात आलोक ने अल्पायु में जीवन की अंतिम सांस ली। शहीद आलोक का पार्थिक शरीर असम से भिण्ड जिले के बड़ेरी गांव आज अलसुबह पहुंचा। शव के गांव पहुंचते ही शोक की लहर गांव भर में दौड़ गई।
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गांव के ही समीप शहीद अनूप शर्मा की समाधि के पास शहीद आलोक शर्मा के शव को पंचतत्व में विलीन किया गया। अंत्येष्टि में सहायक कलेक्टर विवेक केवी, डीएसपी हेडक्वार्टर मोतीलाल कुशवाहा, फूप थाना प्रभारी रविंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय कवि कमलेश शर्मा, गणेश भारद्वाज, दीपक चौधरी, अनिल भारद्वज, कौशल शर्मा, राज पांडेय, कमल किशोर जोशी, आशीष महेरे, गणेश शर्मा सहित ग्रामीणजन शामिल हुए।
बड़ा बेटा भी हो चुका है शहीद
पत्रकार रामशंकर शर्मा के बड़े पुत्र अनूप शर्मा 10 वर्ष पूर्व जम्मू कश्मीर के बारामुला में एक आतंकी हमले में देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। वह भारतीय थल सेना में पदस्थ थे। अनूप शर्मा के चले जाने के अपार कष्ट को परिवार अब तक सहन कर ही रहा था कि अब भारतीय वायु सेना में पदस्थ बेटे आलोक शर्मा का ह्रदय गति रुकजाने से निधन हो गया।
शहीद की बेटी ने पूछा, ताबूत में क्या है?
पत्रकार रामशंकर शर्मा की 7 वर्षीय नातिन शहीद आलोक शर्मा की पुत्री जब आज सुबह जागी तो उसने बाबा से पूछा बाबा आप तो आसाम गए थे आप कब आ गए। और पास में रखे ताबूत को देख बोली बाबा इसमें क्या है? बाद में ताबूत खुला तो बोली ये तो मेरे पापा है। इस मार्मिक दृश्य को देखकर कई मौजूद लोग अपने आंसुओं को नहीं रोक सके।