भोपाल। शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए ई टेंडर घोटाले में नए मोड़ आ रहे हैं। एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले 550 से अधिक निविदाएं आर्थिक अपराध शाखा के दायरे में हैं। हालांकि, जांच एजेंसी ने 9 टेंडर के मामलों में केस दर्ज किया है। लेकिन जल्द ही ओस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी द्वारा किए गए समग्र कार्य की जांच की जाएगी। ओसमो की मदद से दो लाख से अधिक निविदाएँ मंगाई गई थीं।
अधिकांश निविदाएं जल निगम विभाग, जल संसाधन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, सार्वजनिक स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग विभाग और सड़क विकास निगम से संबंधित हैं। सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार की मात्रा लाखों-करोड़ों में हो सकती है। एमपी राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ने 2016 में, निविदाओं के डिजिटल हस्ताक्षर तैयार करने के लिए ओस्मो को अनुबंध से सम्मानित किया।
गौरतलब है कि ई-टेंडरिंग घोटाले में एफआईआर के बाद जांच पड़ताल तेज हो गई है। ई-टेंडर से छेड़छाड़ के मामले में EOW की टीम ने ऑस्मो आईटी सोल्यूशन कंपनी के ऑफिस पर दबिश दी है। टीम ने यहां कंपनी से जुड़े दस्तावेजों की जांच की है। बताया जा रहा है कि यहां कंपनी के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इस कंपनी का ऑफिस भोपाल के मानसरोवर कॉम्प्लेक्स में है| कंपनी के विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर, वरुण चतुर्वेदी से टीम ईटेंडर में छेड़छाड़ मामले में पूछताछ कर रही है| दो डीएसपी के साथ 15 कर्मचारियों की टीम मौके पर कंपनी से जुड़े दस्तावेजों की जांच कर रही है। शुरुआती जानकारी सामने आ रही कि ये कंपनी केवल डिजिटल सिग्नेचर ही नहीं बनाती है, बल्कि अखबार भी निकालती है। जिसमें टेंडर्स की जानकारी दी जाती है।