मौसम विभाग (Weather Department) के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश रीवा, सागर, जबलपुर, शहडोल, ग्वालियर, उज्जैन एवं भोपाल संभागों के जिलों में कहीं कहीं बारिश दर्ज की गई है| प्रदेश में सर्वाधिक अधिकतम तापमान 43 C खंडवा और खरगोन में रहा|
इन जिलों में बारिश के आसार
ग्वालियर, चंबल, जबलपुर संभाग, सागर, टीकमगढ़, विदिशा, रायसेन, भोपाल, होशंगाबाद संभागों के जिलों में बैतूल, खरगौन, वड़वानी, झाबुआ, धार, इंदौर, उज्जैन, देवास एवं शाजापुर जिलों में वर्षा या गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। वहीं ग्वालियर चम्बल, एवं जबलपुर संभागों में तथा टीकमगढ़, सागर, विदिशा, रायसेन, भोपाल, होशंगाबाद, बैतूल, खरगोन, बड़वानी, झाबुआ, धार, इंदौर, उज्जैन, देवास, एवं शाजापुर जिलों में गरज चमक के तेज हवा चल सकती है|
मानसून के लिए अनुकूल स्थिति की संभावना
मध्य क्षोभ मंडलीय स्तरों तक दक्षिण अंडमान सागर और आसपास के क्षेत्रो में पर चक्रवाती परिसंचरण विद्यमान है। इसके प्रभाव के तहत, दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी और आसपास के दक्षिण अंडमान सागर एक कम दबाव क्षेत्र विकसित हो गया है। इससे संबद्ध
चक्रवाती परिसंचरण मध्य क्षोभ मंडलीय स्तर तक फैली है। 15 मई के दौरान इसके और अधिक शक्तिशाली हो कर दक्षिण बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग पर एक अवसाद(डिप्रेशन) में केन्द्रित होने की बहुत संभावना है। 16 मई के आसपास यह मौसम प्रणाली, पुन:,अधिक तीव्रता हो कर दक्षिण-पश्चिम और आसपास की पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी पर एक साइक्लोनिक स्टॉर्म में विकसित होने की संभावना है। शुरुआत में 17 मई तक इस मौसम प्रणाली के उत्तर पश्चिम की ओर आगे बढ़ने की संभावना है और फिर इसके उत्तर-पूर्व-उत्तर की ओर मुढ़ने की संभावना है। 16 मई के आसपास, दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में, दक्षिण अंडमान सागर और निकोबार द्वीप समूह में दक्षिण-पश्चिम मानसून के अागमान के लिए अनुकूल स्थितियां बनने की संभावना है।
-औसत समुद्र तल से ऊपर 7.6 किलोमीटर ऊपर, अपनी धुरी के साथ ऊपरी क्षोभ मंडलीय पच्छमी हवा में द्रोणिका अब मोटे तौर पर अब 90° पूर्वी देशांतर के साथ 26°उत्तरी अक्षांश के उत्तर में चलायमान है।
-पश्चिमी विक्षोभ को अब मध्य क्षोभ मण्डल में, औसत समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर, अपनी धुरी के साथ, मोटे तौर पर 55° पूर्वी देशांतर के साथ, 26° ऊत्तरी अशांश के उत्तर में,एक द्रोणिका के रूप में देखा जा रहा है।
-कोमोरिन क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों पर बना चक्रवाती परिसंचरण और औसत समुद्र तल से ऊपर, 1.5 और 2.1 किमी के बीच देखा जा रहा है।
-पश्चिम मध्य प्रदेश से आंतरिक कर्नाटक तक द्रोणिका/ हवा अपरुपण(विण्ड डिसकन्ट्यूनिटी) अब औसत समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर तक दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश से मध्य महाराष्ट्र और उत्तर आंतरिक कर्नाटक होती हुई, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक तक चलायमान है।