कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी महत्वपूर्ण सलाह, ग्रीष्मकालीन सब्जियों के लिए करें इस मिट्टी और खाद का उपयोग,पढ़ें खबर

कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि खेत में नालियां लगभग 40-50 सेंटीमीटर चौड़ी और 30-40 सेंटीमीटर गहरी बनाएं। दो कतारों में 2 से 4 मीटर की दूरी रखें।

Atul Saxena
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Agricultural scientists important advice to farmers: सर्दियों की विदाई होने वाली है और गर्मियां शुरू होने वाली है, तकनीक के इस दौर में सभी मौसम में सभी तरह की सब्जियां उपलब्ध होती है लेकिन जो सब्जी जी स्मौसम की होती है उसका स्वाद ही अलग होता है साथ ही उसका लाभी भी ज्यादा बताया जाता है, तो अब गर्मियां आने वाली है तो कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को गर्मियों की सब्जियों के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सलाह दी है

प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना खुद किसान हैं उन्होंने किसानों से कहा है कि ग्रीष्मकालीन सब्जियों की पौध की तैयारी व बुवाई का यह उपयुक्त समय चल रहा है। बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च तक कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन सब्जियों लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा, टिण्डा की बुवाई का यह उपयुक्त समय है।

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बलुई दोमट मिट्टी,  गोबर की खाद का उपयोग करें

कृषि मंत्री के साथ कृषि वैज्ञानिकों ने भी किसानों से महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है, कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रीष्मकालीन सब्जियों के लिए बलुई दोमट मिट्टी (जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के मध्य हो) उपयुक्त होती है। मृदा जांच ( मिट्टी की जांच) रिपोर्ट के आधार पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट अथवा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें। बुवाई के लिए नालियां या जमीन से उठी हुई क्यारियां तैयार कर लें।

खीरा, लौकी, करेला कद्दू, टिंडा के लिए दी ये सलाह 

कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि खेत में नालियां लगभग 40-50 सेंटीमीटर चौड़ी और 30-40 सेंटीमीटर गहरी बनाएं। दो कतारों में 2 से 4 मीटर की दूरी रखें। बीज दर खीरा के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम, लौकी की 4 से 5, करेला की 5 से 6, तोरई की 4.5 से 5, कद्दू की 3 से 4, टिण्डा की 5 से 6, तरबूज की 4 से 4.5 और खरबूज की बीज दर 2.5 किलोग्राम रखें। रोपाई से पूर्व सब्जियों के बीजों को फफूंदनाशक दवा काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें।

भिण्डी बुवाई फरवरी से मार्च तक करें, ऐसे करें रोग का उपचार 

ज्यादातर बेल वाली सब्जियों में खेत की तैयारी के समय 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें। नत्रजन 80 किलोग्राम, फॉस्फोरस 50 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। ग्रीष्मकालीन भिण्डी बुवाई फरवरी से मार्च तक करें। उन्नत किस्म परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका का चयन करें। पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पूर्व थायोमिथाक्जाम 30 एफएस मात्रा 10 मिली लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस मात्रा 1.25 मिली लीटर प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई के लिए बीज दर 20 से 22 किग्रा रखें एवं कतार से कतार की दूरी 25-30 सेंटीमीटर, पौध से पौध की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर एवं बीज की गहराई 2 से 3 सेंटीमीटर से अधिक न रखें। खेत में भिण्डी की बुवाई से पूर्व 2 से 2.5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं एवं रसायनिक उर्वरक नत्रजन, स्फुर, पोटाश 60 किलोग्राम, 30 किलोग्राम एवं 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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