नई शराब पॉलिसी को लेकर ठेकेदारों में नाराजगी, नही खुली राजधानी में अधिकांश शराब दुकानें

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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में नई शराब पॉलिसी का शराब ठेकेदारो ने खुलकर विरोध शुरू कर दिया है। वही राजधानी भोपाल में शराब ठेकेदारों ने हड़ताल शुरू कर दी है भोपाल के शराब ठेकेदारों ने शुक्रवार सुबह से ही अपना विरोध जताते हुए अधिकांश दुकानों को खोला ही नही, वही विरोध जताने राजधानी भोपाल के ठेकेदार आबकारी मंत्री के बंगले पर भी पहुंचे। बताया जा रहा है कि इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत 17 जिलों में भी विरोध है। शराब ठेकेदारों के कहना है कि मध्य प्रदेश में नई शराब पॉलिसी का विरोध उन्हें इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि पॉलिसी में 3 ऐसे बिंदू है, जो ठेकेदारों के लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं। देशी-अंग्रेजी शराब दुकानें एक ही जगह खोलने, मार्जिंग कम होने और माल उठाने की पाबंदियां तय करना प्रमुख है। वहीं, रोजाना चेकअप के बहाने अफसर दुकानें सील भी कर रहे हैं।

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दरअसल आबकारी विभाग के अफसरों ने गुरुवार रात राजधानी की शराब दुकानों की चेकिंग करने के दौरान कुछ दुकानों को सील कर दिया था, इसी से नाराज शराब ठेकेदारों ने शुक्रवार को अपना विरोध जताते हुए सड़क पर उतरने का फैसला किया। विरोध जता रहे इन ठेकेदारों के कहना है कि अफसरों ने रूटीन चेकिंग के बहाने छापा मारकर कई दुकानें सील कर दी। चेकिंग के दौरान शराब की बिक्री भी नहीं कर पाए। इसके विरोध में दुकानें बंद की गई हैं। वही प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी ऐसी ही स्थिति है। इंदौर में तो शराब नहीं बिकने से करीब 5 करोड़ रुपए के राजस्व का सरकार को नुकसान होगा। हालांकि शराब ठेकेदारों की नाराजगी के बावजूद राजधानी में कुछ दुकानें खुली हुई भी हैं। जहां पर विभाग का अमला चेकिंग में लगा है। इससे शराब की बिक्री नहीं हो रही है।

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नई पॉलिसी में विरोध

नई पॉलिसी के तहत अब देशी-अंग्रेजी शराब एक ही दुकान से बेची जाएगी। ठेकेदारों का मानना है कि इससे बिक्री पर असर पड़ेगा। मार्जिंग कम होने से डायरेक्ट-इनडायरेक्ट होने वाले खर्च को वहन नहीं कर सकेंगे। माल उठाने की पाबंदियां की गई हैं। इससे मुश्किलें खड़ी होंगी। ठेकेदारों का कहना है कि नई पॉलिसी के चलते ठेके नीलाम नहीं हो रहे हैं। इसके चलते विभाग ठेकेदारों पर दवाब बना रहा है। शाम को चेकिंग के बहाने अधिकारी शॉप पर पहुंच जाते हैं और ग्राहकों को भगा देते हैं। इसके चलते ही बिक्री पर असर पड़ रहा है।


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Harpreet Kaur

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