भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 22 दिन से अतिथि विद्वान धरने पर बैठे हैं| कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं| हालाँकि सरकार उन्हें वापस लौटने की अपील कर चुकी हैं लेकिन नियमितीकरण की मांग को लेकर अतिथि विद्वानों का धरना जारी है| अब अतिथि विद्वानों ने फैसला किया है कि वह मंगलवार की रात कफन ओढ़ कर नए साल का जश्न मनाएंगे। अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा कि हमने विरोध जाहिर करने के लिए ये निर्णय लिया है कि कफन ओढ़कर नए साल का जश्न मनाएंगे।
अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अतिथि विद्वान यह धरना दे रहे हैं। मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने बताया कि कड़कड़ाती सर्दी में धरने में करीब दो सौ अतिथि विद्वान शामिल हो रहे हैं। इनमें से कुछ महिलाएं तो अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ शामिल हो रही है। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई संवेदनशील रुख नहीं अपनाया जा रहा। एक तरफ सरकार कहती रही कि किसी भी कॉलेज से किसी अतिथि विद्वान को निकाला नहीं जाएगा लेकिन लोक सेवा आयोग के जरिए चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदभार संभालने पर करीब ढाई हजार अतिथि विद्वानों को निकाल दिया गया है। डॉ सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा कि तेज ठंड से यदि कोई अतिथि विद्वान को कुछ हो जाता है तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
सोनिया गांधी तक जायेगी शिकायत
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अतिथि विद्वानों को नियमित करने का वादा किया था| अब इस वचन को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए सरकार का विरोध कर रहे हैं| वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा विभाग सरकारी कॉलेजों से निकाले गए अतिथि विद्वानों को फिर से नियुक्ति देने के लिए एक जनवरी से च्वाइस फिलिंग की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। यह प्रक्रिया 9 जनवरी तक चलेगी। वहीं अतिथि विद्वान ने तय किया है कि वे कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी शिकायत करेंगे। जिसमें वे बताएंगे कि किस तरह कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में अतिथि विद्वानों को नियमित करने की बात कही थी। लेकिन अब उन्हें नियमित करना तो दूर उन्हें कॉलेज से ही निकाल दिया गया है।