Bank Strike : दो दिन बैंककर्मियों की रहेगी हड़ताल, निपटा लें बैंकसंबंधी अपने काम

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  बैंकों के निजीकरण (privatization of banks) का विरोध कर रहे बैंक कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कल और परसों यानि 16 दिसंबर गुरुवार और 17 दिसंबर शुक्रवार को बैंकों में हड़ताल (Bank Strike) रहेगी। इसके बाद एक दिन शनिवार को बैंक खुलेंगे उसके अगले दिन रविवार होने से बैंक फिर बंद रहेंगे। यानि बैंक हड़ताल और रविवार के बंद के कारण इसका असर बैंकों के कामकाज पर पड़ेगा।

इस सप्ताह तीन दिन बैंक बंद रहने से ग्राहकों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा इसलिए आज ही बैंक  सम्बन्धी काम निपटा लीजिये या शनिवार के लिए शिड्यूल कर लीजिये।  जानकारी के अनुसार यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की तरफ से आयोजित हड़ताल का असर देशभर में होगा।  यहाँ बता दें कि दो दिवसीय हड़ताल की चेतावनी फोरम ने पिछले महीने ही दे दी थी।

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MP में बैंक हड़ताल में शामिल होंगे 40,000 कर्मचारी अधिकारी 

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (United Forum of Bank Unions) की तरफ से कहा गया है कि दो दिवसीय हड़ताल में देश भर के करीब 10 लाख कर्मचारी अधिकारी शामिल होंगे।  मध्य प्रदेश की 12 बैंकों की 5000 शाखाओं के करीब 40,000 कर्मचारी अधिकारी हड़ताल में शामिल रहेंगे जिसका सीधा असर बैंको के कामकाज पर पड़ेगा जिसका खामियाजा बैंक के ग्राहकों को उठाना पड़ेगा।

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निजीकरण है मुख्य मुद्दा 

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस बैंकों के निजीकरण का विरोध कर रही है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि बैंको के निजीकरण से बैंकों को तो नुकसान होगा ही साथ ही जनता की भी परेशानी बढ़ेगी। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि निजीकरण के बाद बैंकों ने पद कम कर दिए जायेंगे और काम आउट सोर्स से कराये जायेंगे जिससे ग्राहकों की निजता का हनन होगा।

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नहीं रहेगी कैश की कमी 

16 और 17 दिसंबर की हड़ताल को मद्देनजर रखते हुए सभी बैंकों ने ग्राहकों को परेशानी से बचाने के लिए ATM को फूल करना शुरू कर दिया है।  सभी बैंक इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि उनकी सभी चालू ATM कैश से भरी रहें ताकि लोगों को कैश की कमी ना हो। बैंकों ने ATM में कैश लोड करने वाली कंपनियों से इस पर नजर बनाये रखने के निर्देश दिए हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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