भोपाल।
विधानसभा चुनाव जीतने के छह माह के भीतर लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी पराजय के बाद कांग्रेस संगठन में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं| नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही निचले स्तर पर भी बड़ी कटाई छटाई देखने को मिल सकती है| सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस की मंडलम व सेक्टर स्तर पर करीब 9 हजार कमेटियों को भंग किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो लगभग पचास हजार कार्यकर्ताओं के हाथों से उनकी जिम्मेदारी वापस ले ली जायेगी।
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बता दें कि लोकसभा चुनाव में ऐसे अधिकांश पदाधिकारियों की सक्रिय नहीं होने की शिकायत प्रदेश कार्यालय तक पहुंची थी। यही वजह है कि इन कमेटियों को भंग करने पर जोर दिया जा रहा है। संगठन की आगामी बैठक में इस बारे में महत्वपूर्ण फैसला लिया जा सकता है, इस बैठक में संगठन के निचले स्तर पर मजबूती को लेकर बड़े नेताओं में बातचीत होना है।
आगमी चुनाव के लिए कसावट की कोशिश
बता दें कि मध्यप्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले हर 30 बूथ पर एक मंडलम और हर 10 बूथ पर एक सेक्टर कमेटी बनाई थी, इस तरह पूरे प्रदेश में करीब 2300 मंडलम और 6500 के लगभग सेक्टर कमेटी बनी हुई हैं। इन सभी कमेटी में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, सचिव और सदस्य बनाए गए थे। निचले स्तर पर बदलाव की कवायद को आगामी निकाय चुनावों के लिए पार्टी में कसावट के तौर पर देखा जा रहा है|
संगठन तक पहुंची शिकायत
लोकसभा चुनाव के खराब नतीजों से सकते में कांग्रेस संगठन कुछ अहम फैसले लेने की तैयारी में है| चुनाव के पहले लोकसभा प्रभारी बनाए गए नेताओं ने प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के मंडलम मॉडल पर कई सवाल खड़े किए गए हैं। लोकसभा प्रभारी मानते हैं कि बावरिया ने संगठन को मजबूत करने के लिए मंडलम का गठन तो किया लेकिन ये मंडलम सिर्फ कागज में ही काम करता रहा। ऐसे में या तो यहां पर सिफारिशी कार्यकर्ताओं को तैनात कर दिया गया या फिर वे कार्यकर्ता आ गए जिनको काम से नहीं पद से मतलब था। अब लोकसभा प्रभारी अपनी-अपनी सीट को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इन रिपोर्ट को प्रदेश संगठन को सौंपा जाएगा। वहीं विधायकों की भी नाराजगी है कि ब्लॉक से लेकर सेक्टर, मंडलम तक के कार्यकर्ताओं की नियुक्तियों में उनको तवज्जो नहीं मिली।