भोपाल।
झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट बीजेपी सांसद जीएस डामोर ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है।डामोर ने विधानसभा सचिवालय पहुंचकर अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष नर्मदाप्रसाद प्रजापति को सौंप दिया है। प्रजापति ने उनके इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया है। अब आज गुरुवार को विधानसभा सचिवालय द्वारा डामोर के इस्तीफे की अधिसूचना जारी की जाएगी।इसी के साथ अब बीजेपी के विधायकों की संख्या 108 रह गई है जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ के छिंदवाड़ा से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस की सदस्य संख्या 114 हो गई है। झाबुआ सीट पर अब विधानसभा के उपचुनाव 6 महीने के भीतर होंगे।
दरअसल, डामोर झाबुआ सीट से विधायक थे। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और वे जीत गए। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया को हराकर कांग्रेस की परम्परागत सीट पर कब्जा किया था। नियम के मुताबिक ऐसे हालात में चुनाव जीतने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़ना होता है। इसके लिए उन्होंने पार्टी के निर्देश पर विधायकी छोडने का फैसला किया, इस बात का ऐलान हाल ही में प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने किया था। अब डामोर के विधायक पद छोड़ने के के बाद झाबुआ सीट पर उप चुनाव होना तय हो गया है। गुमानसिंह डामाेर को संसद भेजने के बाद भाजपा का एक विधायक प्रदेश में कम हो गया। यानी अगर विश्वास हासिल करने का मौका आ��ा तो प्रदेश में 229 विधायक रहेंगे। ऐसे में कांग्रेस अपने 115 विधायकों के साथ ही विश्वास साबित कर सकती है। माना जा रहा है, भाजपा ने ये निर्णय जान बूझकर देर से किया, ताकि कांग्रेस में उथल-पुथल मची रहे। हालांकि ऐलान के बाद से ही कांग्रेस ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है।कांग्रेस में जेवियर के समर्थक पहले ही सक्रिय हो चुके हैं। माना जा रहा है, जेवियर पार्टी में आए ही इसीलिए कि उपचुनाव में वो दावेदारी कर सकेंगे। उनके अलावा अब खुद पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया का भी नाम लिया जा रहा है। वो सीनियर हैं।
कांग्रेस को राहत
भाजपा को केंद्र में सांसद से ज्यादा मप्र में विधायकों की जरूरत है। मप्र में भाजपा के पास सत्तापक्ष से 7 विधायक कम हैं। अब डामौर के विधायकी छोड़ने पर भाजपा के 108 विधायक बचेंगे। कांग्रेस के पास 113 विधायक हैं। जबकि सरकार को निर्दलीय, सपा, बसपा समेत 120 विधायकों का समर्थन है। सत्र में शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ भी विधायक हो जाएंगे। डामोर के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला कांग्रेस के लिए राहत भरा है| इसकी वजह ये है कि 230 सदस्यों वाली विधानसभा में डामोर के इस्तीफे के बाद 229 सदस्य बचेंगे। इसमें स्पष्ट बहुमत के लिए 115 सदस्य कांग्रेस सरकार के पास हैं। कांग्रेस के लिए यह राहत तब तक बनी रहेगी, जब तक उपचुनाव नहीं हो जाता। ऐसे हालात में कांग्रेस सरकार को बाहर से किसी के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह 115 विधायकों के साथ बहुमत में होगी। निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल के कैबिनेट में होने के कारण कांग्रेस के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है। वहीं कांग्रेस के लिए एक मौक़ा है, डामोर के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद झाबुआ विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकता है। संसदीय विशेषज्ञों की मानें तो यदि इस उपचुनाव में कांग्रेस जीत गई तो वह 116 विधायकों के साथ स्पष्ट बहुमत में आ जाएगी।