उपचुनाव : पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध बसपा में शामिल, कांग्रेस ने किया पार्टी से निष्कासित

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एमपी उपचुनाव (MP By-election) से पहले कांग्रेस (Congress) में जमकर घमासान मचा हुआ है। खास करके टिकट वितरण के बाद अंतर्कलह और असंतोष के स्वर तेजी से फूट रहे है। हाल ही में टिकट कटने से नाराज पूर्व गृहमंत्री महेंद्र बौद्ध (Mahendra Buddhist) ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और अब वे कांग्रेस छोड़ बसपा में शामिल हो गए है, इसकी खबर लगते ही कांग्रेस ने भी उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है।सियासी गलियारों में अटकलें तेज हो गई है कि वह भांडेर विधानसभा सीट (Bhander assembly seat) से कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी फूल सिंह बरैया (Phool Singh Baraiya) के खिलाफ चुनाव चुनाव लड़ सकते है, ऐसे में भाजपा को फायदा मिलने की पूरी संभावना है।

दरअसल, प्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनावों से पहले कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। भांडेर विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे महेंद्र बौद्ध ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) का दामन थाम लिया।कांग्रेस ने फूलसिंह बरैया को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा की ओर से कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई सिंधिया समर्थक रक्षा सिरोनिया मैदान में है, ऐसे में पूर्व मंत्री बौद्ध के बसपा में शामिल होने से कांग्रेस के लिए इस सीट पर मुश्किलें बढ़ गई है, क्योंकि महेंद्र बौद्ध भांडेर में लंबे समय से सक्रिय हैं,लोगों के बीच उनकी अच्छी पहचान बताई जाती है। वे लंबे समय तक पार्टी का एक अति पिछड़ों के लिए चेहरा रहे हैं। पार्टी के लिए उनके बीच रहकर काम करते रहे हैं। बरैया का स्थानीय स्तर पर लेकर पार्टी के अंदर ही विरोध का सामना करना पड़ेगा। इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा, क्योंकि बौद्ध के चुनाव लड़ने पर कांग्रेस के ज्यादा वोट करेंगे। वही भाजपा को दोनों की लड़ाई में फायदा मिलने की संभावना है।

भाजपा के बजाय बसपा क्यों
जब कांग्रेस छोड़ने के बाद बौद्ध से सवाल किया गया कि आपने भाजपा क्यो ज्वाइन नही की तो उन्होंने कहा कि भाजपा में इसलिए नहीं गया, क्योंकि उनकी सरकार है। सरकार में जाने के बाद कोई काम नहीं करता है। बसपा की सरकार नहीं है। ऐसे में यहां रहकर मुझे आम लोगों के बीच जाने का मौका मिलेगा। उनकी बात समझ सकूंगा। इसलिए बसपा में शामिल हुए हैं।इस्तीफे के पहले बौद्ध ने प्रदेश नेतृत्व पर अनुसूचित जाति विभाग के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया था । उनका कहना था कि अनुसूचित जाति की सीटों के प्रत्याशी चयन में अनुसूचित जाति विभाग या उसके पदाधिकारियों से कोई राय-मशविरा नहीं लिया गया।

कांग्रेस ने किया पार्टी से निष्कासित
खास बात ये है कि चर्चा में पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध का भी शामिल था, यहां तक की स्थानीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सेवड़ा विधायक कुंवर घनश्याम सिंह, पूर्व विधायक राजेंद्र भारती आदि के अलावा तमाम नेताओं द्वारा महेंद्र बौद्ध के पक्ष में हाई कमान से टिकट दिए जाने की मांग भी की थी, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व गृहमंत्री महेंद्र बौद्ध को दरकिनार कर वरिष्ठ कांग्रेस नेता फूल सिंह बरैया को मैदान में उतार दिया, जिसके चलते महेंद्र बौद्ध नाराज हो गए और उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों से भी इस्तीफा दे दिया था। वही मंगलवार को बसपा में शामिल हो गए । जैसे ही इसकी खबर कांग्रेस को लगी उन्होंने बौद्ध को पार्टी से निष्कासित कर दिया।हालांकि इसके पहले कांग्रेस ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी, लेकिन वे नही माने।

दिग्विजय की सभा में दिए थे विरोध के संकेत
दरअसल, भांडेर विधानसभा सीट से फूल सिंह बरैया को चुनावी मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले से महेंद्र बौद्ध नाराज चल रहे थे। हाल ही में उन्होंने दिग्विजय सिंह के सामने अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी साथ ही बगावत के संकेत भी दिए थे, इस पूरे घटनाक्रम को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है।बीते दिनों उन्होंने भरी सभा में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सामने अपनी नाराजगी जाहिर भी की थी। बौद्ध ने कहा था कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अब तक 6 बार टिकट कट चुका है। 50 साल से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। भांडेर से जिन्हें टिकट दिया गया है, वह तिलक, तराजू व तलवार का नारा देकर लोगों काे जातिगत रूप से बांटने का काम करते हैं लेकिन हम यह नहीं चलने देंगे।राजा साहब मेरे साथ लगातार अन्याय हो रहा है।वही उन्होंने कहा कि बरैया जी को इतने बड़े कद के नेता है कि कही से भी चुनाव लड़ सकते है।हालांकि भावुक हुए बौद्ध को दिग्विजय ने यह कहकर मनाया कि हम पीछे हट नहीं सकते हैं, चर्चा करेंगे, बातचीत करेंगे और कोई रास्ता निकालेंगे। अन्याय तो हुआ है लेकिन क्या कर सकते हैं। मैं टिकट वितरण में कतई हस्तक्षेप नहीं कर रहा हूं।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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