भोपाल।
15 साल बाद सत्ता में लौटी और महज 15 महीनों में सत्ता छोड़ने को मजबूर ही कांग्रेस(congress) 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव(by-election) में अब बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। उपचुनाव में महाराज और उनके समर्थकों सहित बीजेपी(BJP) को सबक सिखाने में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। इस बीच अब प्रदेश में उपचुनाव पर रणनीति की कमान प्रशांत किशोर(prashant kishore) को सौंपी गयी है। दरअसल कांग्रेस के प्रचार अभियान की कमान संभालने के लिए पार्टी ने तीन कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार किया था। जिसमे प्रशांत किशोर के नाम पर मुहर लगी है।
गुरुवार को कांग्रेस ने प्रशांत किशोर के नाम पर सहमति बनाकर ये तो बता दिया है कि वो उपचुनाव को हल्के में नहीं लेने वाली है। प्रशांत किशोर एक प्रखर रणनीतिकार हैं। बता दें कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(pm narendra modi) की जीत का श्रेय भी किशोर को दिया जाता है। वहीँ पिछले विधानसभा (2018) चुनाव में भी प्रशांत ही कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने वाले मुख्य रणनीतिकार थे। बिहार में भी नितीश कुमार(nitish kumar) को जीत दिलाने में किशोर की भूमिका रही थी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सिंधिया(scidia) और उनके समर्थक कांग्रेस के बागी नेताओं को घेरने की तयारी में जुट गयी है। ग्वालियर चम्बल में लगातार कांग्रेस नए विकल्प तलाश रही है। वहीँ कांग्रेस का वॉर रूम भी अब भोपाल की जगह ग्वालियर में होगा।
गौरतलब है कि मार्च माह में प्रदेश की सत्ता पूरी तरह सियासी रंग में रंग चुकी थी। जहाँ ज्योतिरादित्य सिंधिया(jyotiraditya scindia) के कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होते ही कांग्रेस के 22 विधयकों ने अपनी पार्टी से रोष दिखाते हुए इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद प्रदेश में कमलनाथ की सत्ता गिर गयी थी। वहीँ प्रदेश में वापस शिवराज की वापसी हुई थी। अब इन 24 सीटों पर कांग्रेस का वापस सत्ता में लौटना निर्भर करता है। देखना दिलचस्प है की प्रशांत किशोर की राजनीति कांग्रेस को कहाँ लेकर जाती है।