भोपाल। बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती की चेतावनी के बाद कमलनाथ सरकार ने ऐलान किया है कि वह भारत बंद आंदोलन के दौरान विरोध करने वाले नेताओं पर लगे राजनीति केस वापस लेगी। उनपर लगे मामले निरस्त किए जाएंगे। बताया जा रहा है इस ऐलान के बाद वह सभी केस वापस ले लिए जाएंगे जो उस आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए थे। एससी एसटी एक्ट को लेकर अप्रैल में हुए आंदोलन के सबसे अधिक मामल प्रदेश के चंबल अंचल में दर्ज हुए थे। इस क्षेत्र में बसपा नेताओं का काफी दबदबा है।
जानकारी के मुताबिक दो अप्रैल 2018 में जो मामले सामने आए थे उनमें मुरैना जिले के बिट्टा कथूरिया, रविन्द्र कथूरिया जितेंद्र बौद्ध मुख्य नाम थे। ये नेता किसी खास पार्टी से नहीं जुड़े हुए थे लेकिन उस दौरान ये लोग चर्चा में थे। उस दौरान हिंसा फैलाने के मामले में करीब 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। ग्वालियर, भिंड व मुरैना सहित पूरे मध्य प्रदेश में हाई अलर्ट किया गया था। मायावती ने मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार को चेतावनी दी थी कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान लोगों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए गए तो बसपा प्रदेश की कांग्रेस सरकारों से समर्थन वापसी पर विचार कर सकती है. मायावती के इस बयान के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने यह फैसला किया है।
मंगलवार को मध्य प्रदेश सरकार ने 2 अप्रैल के प्रदर्शन समेत बीते 15 सालों के दौरान राजनीति से प्रेरित होकर दर्ज किए गए सभी केस वापस लेने की बात कही है। राजस्थान सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है। कांग्रेस ने हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाई है। दोनों ही जगह उसे बसपा ने सरकार समर्थन दिया है। मध्य प्रदेश में बसपा के दो और राजस्थान में छह विधायक जीते हैं। दोनों राज्यों में बसपा ने कांग्रेस को समर्थन दिया है।