भोपाल।
भले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विपक्ष के दबाव में आकर प्रदेश में सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान कर दिया हो लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले इसका लाभ मिलना संभव नही होता दिखाई दे रहा है। इसके पीछे मुख्य वजह है आचार संहिता । दरअसल, सरकार ने सवर्णों को आरक्षण देने के लिए एक कमेटी बनाई है जो एक महिने में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी। इसके बाद विचार किया जाएगा कि सवर्णों को कब और कैसे यह लाभ दिया जाना है ।जबकी एक दो दिन में कभी भी आचार संहिता के लगने की संभावना है, ऐसे में माना जा रहा है कि फिलहाल लोकसभा चुनाव के पहले सर्वणों को लाभ मिलने वाला नही।
दरअसल, दो दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सागर में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत और सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था। जिसके बाद सरकार ने गुरुवार को आरक्षण के क्रियान्वयन की प्रक्रिया तय करने के लिए सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह की अध्यक्षता में समिति बना दी गई । समिति इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से चर्चा कर एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी।लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा।क्योंकि सरकार द्वारा कमेटी बनाई गई है वो एक महिने के बाद सभी पहलुओं पर चर्चा कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कमलनाथ को सौंपेगी।जबकी अगले माह आम चुनाव होने है और इसी हफ्ते आचार संहिता लगने वाली है, जिसके बाद सभी काम बीच में ही रुक जाएंगें।ऐसे में अब ये तय है कि आरक्षण लागू करने पर फैसला चुनाव बाद ही होगा।वही बीजेपी कैबिनेट कमेटी गठित करने के फैसले का पहले ही विरोध कर चुकी है। बीजेपी का कहना है कि आरक्षण को कमेटी के रुप में लटकाने के बजाय सरकार को इसे तत्काल लागू किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि बीते दिनों लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए मोदी सरकार ने सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया था।इस फैसले के बाद कई राज्यों में इस व्यवस्था को लागू किया जा चुका है लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक आरक्षण लागू करने पर फैसला नहीं हो सका है। एमपी में इसे लागू करने विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बना रहा था। करनी सेना और अन्य संगठन भी सरकार से इसे प्रदेश में लागू किए जाने की मांग किए हुए थे। लोगों में बढ़ते आक्रोश और विपक्ष के दबाव के चलते आखिरकार बुधवार को सागर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आरक्षण देने का ऐलान कर दिया ।इसके साथ ही उन्होंने पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने का भी वादा किया। वर्तमान में मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण मिल रहा है।