CM Mohan Yadav Cabinet: मध्य प्रदेश की गद्दी संभालने के साथ ही मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आक्रामक शुरुआत की है। कैबिनेट की पहली बैठक में उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इनमें एक निर्णय जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण प्रक्रिया का संपन्न होना है। प्रदेश भर में जमीनों के फर्जीवाड़े पर इससे लगाम लगने के साथ जनता को बड़ी राहत मिलेगी।
रजिस्ट्री के साथ होगा नामांतरण
एक छोटा सा आशियाना बनाने की हसरत हर आम आदमी की होती है और आशियाना बनाने के लिए सबसे जरूरी होता है जमीन का एक टुकड़ा। जमीन खरीदने के लिए उसकी रजिस्ट्री कराई जाती है और उसके बाद शुरू होता है उसके नामांतरण कराने के लिए चक्कर लगाने का सिलसिला। खबर पढ़ने वाले हर व्यक्ति या उसके परिवार में किसी न किसी व्यक्ति ने इस दर्द को महसूस जरूर किया होगा कि नामांतरण करने की प्रक्रिया कितनी कठिन और जेब को ढीली कर देने वाली है, क्योंकि बिना रिश्वत दिए नामांतरण होता ही नहीं। कई बार यह भी होता है कि आप संबंधित जमीन का नामांतरण कराने जाएं और पता चले कि वह जमीन किसी और के नाम है। एक-एक जमीन की चार-चार रजिस्ट्री होते हुए हम सब ने देखा है। आम जनता की इसी परेशानी को एक सीनियर आईएएस अधिकारी ने बेहद संवेदनशीलता के साथ समझा और लगभग 5 साल पहले एक प्रस्ताव तैयार किया। जिसमें जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही उसके नामांकन की प्रक्रिया भी संपन्न होनी थी। इसके लिए संपदा और लैंड रेवेन्यू के सॉफ्टवेयर को मर्ज किया गया। जो रजिस्ट्री होने के साथ ही सीधे उसकी जानकारी लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट को भेज देता था और वहां पर जमीन की नामांकन की प्रक्रिया संपन्न हो जाती। प्रक्रिया लागू होती, उससे पहले ही उस अधिकारी का तबादला हो गया और पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। क्योंकि नौकरशाही का एक बड़ा वर्ग नहीं चाहता था कि नामांतरण से होने वाले इतर फायदे हमेशा के लिए दफन हो जाए। हैरत की बात यह रही कि इन पांच सालों में राजस्व विभाग के सचिव एक ही आईएएस अधिकारी रहे जो आईटी विभाग मे रहने के साथ ही मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव भी थे लेकिन उन्होंने भी इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया। साथ ही उस समय संपदा मे पदस्थ महिला अधिकारी भी इस और उदासीन रही।