भोपाल। आगामी शिक्षा सत्र से कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को इस बार स्मार्ट फोन नहीं मिल पाएगा। क्योंकि सरकार के पास स्मार्ट फोन खरीदने के लिए बजट नहीं है। इसमें एक सत्र में लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थियों को मोबाइल दिया जाता है। उच्च शिक्षा विभाग के पास 40 करोड़ रुपए का बजट मोबाइल खरीदने के लिए है, लेकिन कीमतें रिवाइज होने बाद यह खर्च 150 करोड़ रुपए पहुंच गया है।
अभी तक सरकार जो स्मार्ट फोन वितरित करती आ रही थी, उसमें कई खामियां थीं। जिसको लेकर विद्यार्थियों ने शिकायत दर्ज कराई थीं। पहले एक मोबाइल 2400 रुपए में खरीदा जाता था। पिछले साल से एक मोबाइल की कीमत 6700 रुपए कर दिया गया। इससे स्मार्ट फोन वितरण का बजट तीन गुना बढ़ गया। पहले डेढ़ लाख मोबाइल के लिए लगभग 40 करोड़ रुपए का खर्च सरकार को करना पड़ता था। अब मोबाइल की राशि बढ़ाने से यह खर्च लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए का होगा।
पांच साल से मिल रहा फोन
मप्र शासन ने 2014 में सरकारी कॉलेज के फर्स्ट ईयर के 75 फीसदी अटेंडेंस वाले विद्यार्थियों को स्मार्टफोन देने की योजना बनाई थी, पिछले सत्र से इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह योजना कॉलेज ड्रापआउट संख्या को कम करने के लिए बनाई गई थी। हालांकि पिछली भाजपा सरकार ने ही विद्यार्थियों को मोबाइल आवंटित करने के लिए पर्याप्त बजट ना होने का कारण गिनाया था और मोबाइल खरीदी के लिए टेंडर नहीं हो सका था। अब राज्य में कांग्रेस सरकार भी बजट के अभाव में मोबाइल नहीं खरीद पा रही है।