भोपाल। प्रदेश में 15वें विधानसभा चुनाव का मतदान संपन्न जरूर हो गया हो, लेकिन दो दर्जन से अधिक ऐसी सीटें हैं, जहां अपने ही अपनों की आंखों का कांटा बनकर समीकरण बिगाड़ गये हैं। हालांकि अभी परिणाम आना बाकी है, लेकिन यह तय है कि भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों को अपनों की बगावत भारी पड़ेगी।
प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं, जहां मौजूदा और पूर्व विधायकों के अलावा सांसदों के परिजनों ने परंपरागत दलों से बगावत करके समीकरण बिगाड़े हैं। उज्जैन की घट्टिया सीट पर पूर्व सांसद प्रेमचन्द्र गुड्डू ने अपने पुत्र अजीत बौरासी को मैदान में उतारकर कांग्रेस का नुकसान कर दिया है। पहले भी अजीत ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेनि उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था। लखनादौन में पूर्व निगम चेयरमेन शोभाराम भलावी को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय मैदान में डटकर कांग्रेस प्रत्याशी योगेन्द्र का ही नुकसान करते रहे। बुरहानपुर सीट से शिवकुमार सिंह एवं महेंद्र सिंह के भाई ठा सुरेंद्र सिंह कांग्रेस से बागी होकर लड़ रहे हैं।
पानगर में कांग्रेस के बागी अपनों का ही खेल बिगाड़ते दिखे। जिस पनागर सीट पर जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष भारत सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडऩे पूरी ताकत झौंक रहे थे। ऐन वक्त पर वह टिकट न मिलने से नाराज निर्दलीय मैदान में कूद गये। बहोरीबंद में बसपा के बैनर तले ही अपने चुनाव की शुरूआत करने वाले कांग्रेस के वर्तमान विधायक कुंवर सौरभ सिंह के खिलाफ इस बार उनके अपनों ने ही मुश्किलें खड़ी की हैं। यहां से गोविंद पटेल पार्टी से टिकट मांग रहे थे। जब उन्हें दरकिनार किया गया तो वह बसपा का झंडा लेकर चुनाव लडऩे उतर गये। बड़वारा में कांग्रेस अजा-जजा मोर्चा के अध्यक्ष अजय गोटिया कांग्रेस से नाखुश होकर बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरे। पन्ना में कांगे्रस के पूर्व सचिव अनिल तिवारी ने निर्दलीय चुनाव लडक़र अपनों का ही खेल बिगाडऩे में अहम भूमिका निभाई। राजनगर में जहां पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के पुत्र नितिन सपा से ताल ठोंकर कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गये तो महाराजपुर और बिजावर में राजेश शुक्ला और राजेश महतों की बगावत पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है। झाबुआ में पूर्व विधायक जेबीएल मेढ़ा निर्दलीय खड़े होकर कांग्रेस के लिए नुकसान का कारण बने तो वारासिवनी में दो बार के विधायक रहे गुड्डा जायसवाल ने खड़े होकर कांग्रेस प्रत्याशी के चुनावी समीकरणों को बिगाडऩे में पूरी ताकत लगाई है।
पदमा भी दे सकतीं सदमा:-
भाजपा में भी कई सीटों पर अपने ही अपनों से लड़ गये हैं। विजय राघौगढ़ में पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री पदमा शुक्ला ने कांग्रेस का दामन थाम भाजपा के मंत्री संजय पाठक के खिलाफ ताल ठोंकी है। हालांकि यहां लड़ाई दोनों उम्मीदवारों के बीच है, पर सांसें थमीं हुई हैं। पथरिया और दमोह में भाजपा के पूर्व सांसद एवं मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया ने भारतीय जनता पार्टी की चिताएं बढ़ाईं हैं। होशंगाबाद में भी अपनों के बीच ही लड़ाई है। भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री सरजाज सिंह और विधानसभा अध्यक्ष डा. सीताशरण का यहां मुकाबला हुआ है। भिंड में मौजूदा विधायक नरेन्द्र सिंह पुन: भाजपा से टिकट लेने में असफल रहे तो वह अपनों को हराने के लिए साइकिल पर सवार हो गये। कटनी में भाजपा के पूर्व प्रवक्ता ने टिकट ने मिलने से रणभूमि में अपनों की बगावत की। चंदला में भाजपा से नाराज नगर पंचायत अध्यक्ष अनित्या भाजपा का खेल बिगाड़ रहीं हैं तो बैरसिया में पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर ने भी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ीं कर दीं हैं। सीहोर में पूर्व विधायक ने अपने पत्नी को निर्दलीय उतारकर भाजपा प्रत्याशी के ही वोट काटे हैं। ग्वालियर में पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता भाजपा से टिकट न मिलने पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी का खेल बिगाड़तीं रहीं।