भोपाल/इंदौर।
सियासत में कांग्रेस तो वंशवाद की पक्षधर है परंतु भाजपा हमेशा इसका विरोध करती आई है लेकिन इस बार मध्यप्रदेश में भाजपा के अंदर भी जमकर परिवारवाद चला और शायद आगे भी चलता रहेगा। हम बात कर रहे है इंदौर की इंदौर-3, इंदौर-4 और देपालपुर सीटों की, जहां दोनों दल कई साल से एक ही परिवार के सदस्यों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी टिकट देते आ रहे हैं।इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है, जिसके बाद मुकाबला और भी रोचक हो चला है। अब ये जंग सिर्फ चुनावी नही बल्कि परिवारों के वर्चस्व की भी लड़ाई बन गई है। अब जीत किसकी होगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इस लड़ाई ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
सबसे पहले हम इंदौर-3 विधानसभा की बात करेंगें। यह इंदौर जिले की सबसे छोटी विधानसभा है और यहां करीब एक लाख 90 हजार वोटर हैं। इस सीट पर 2013 के चुनाव से पहले लगातार कांग्रेस जीतती आई है लेकिन पिछले चुनाव में बीजेपी की उषा ठाकुर ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली थी।भाजपा फिर इस सीट पर कब्जा जमाने की कोशिश मे है।इसके लिए भाजपा ने इस बार यहां से भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश को उतारा है।वही कांग्रेस ने पूर्व मंत्री महेश जोशी के भतीजे अश्विन जोशी पर भरोसा जताया है। महेश खुद इस सीट से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं, उनके बाद तीन बार अश्विन जोशी भी यहां से विधायक रहे। सालों से चाचा-भतीजे इस सीट पर राज करते आए है।
वही इंदौर-4 सीट करीब 3 दशक से बीजेपी के पास है। इस सीट पर 2.30 लाख वोटर हैं और यहां से मालिनी सिंह गौर विधायक हैं। इस सीट से बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी पूर्व में विधायक रह चुके हैं। इस बार भी भाजपा ने मालिनी पर विश्वास जताया है। पहले इस सीट से उनके पति लक्ष्मण सिंह गौड़ तीन बार विधायक रह चुके हैं, उनके निधन के बाद मालिनी गौड़ यहां से चुनाव लड़ती आई है। उनके मुकाबले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष उजागर सिंह के बेटे सुरजीत सिंह चढ्ढा हैं। उजागर सिंह भी खुद इस सीट से चुनाव लड़े चुके हैं।
इसके अलावा अगर देपालपुर सीट की बात करे तो यहा मुकाबला औऱ भी दिलचस्प है। पिछले बार इस सीट से कांग्रेस और बीजेपी ने पटेल समाज के उम्मीदवारों को एक दूसरे के मुकाबले उतारा था और इस बार भी भाजपा-कांग्रेस ने उसी ढर्रे को अपनाया है। भाजपा ने इस बार भी मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके निर्भय सिंह पटेल के बेटे और वर्तमान विधायक मनोज पटेल पर भरोसा जताया है। उनके सामने कांग्रेस के विशाल पटेल हैं। विशाल के पिता जगदीश पटेल यहां से कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। यहां दो पूर्व विधायकों के बेटों के बीच लड़ाई है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश की ज्यादातर सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन कुछ सीटों पर बीएसपी का भी प्रभाव है। यहां 2003 से बीजेपी की सरकार है और इससे पहले 10 साल तक कांग्रेस ने राज किया था। 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 165 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस 58 सीटों तक सिमट गई थी जबकि बसपा ने 4 और अन्य ने 3 सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में अब देखना होगी की भाजपा-कांग्रेस कितनी सीटे बटोंर पाती है और अन्य का प्रदेश की सीटों पर क्या प्रभाव पड़ता है।