भोपाल।
शिवराज सरकार में शुरु हुई संबल योजना एक बार विवादों में घिर गई है। कमलनाथ सरकार ने इसमें घोटाले की आशंका जाहिर की है। श्रम मंत्री सिसोदिया ने इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि घोटालों से संबल योजना मलन योजना हो गई है इसलिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर संबल योजना का नाम बदलकर ‘नया सवेरा’ कर दिया गया है।मंत्री ने कहा कि 2 करोड़ 20 लाख संबल योजना में पंजीकृत है इसमें करीब 40 फ़ीसद��� पंजीकृत फर्जी है, 15 दिन के अंदर संबल योजना के अपात्र लोगों को हटाया जाएगा। इसके लिए मुख्य सचिव ने डोर टू डोर सर्वे कराने के आदेश दिए है।
![Congress-govt-renamed-Shivraj's-Sambal-Yojna-in-mp](https://mpbreakingnews.in/wp-content/uploads/2020/01/254320191848_0_shivrajkamalnathv.jpg)
मंत्री ने कहा कि जिन अधिकारियों कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से बात तो को संबल योजना में जोड़ा है उनके खिलाफ न्यायिक जांच कराई जाएगी। संबल योजना के सभी कार्डों को वापस लेकर ‘नया सवेरा’ के कार्ड दिए जायगे, उसमें आयुष्मान योजना के साथ अन्य योजनाओं को भी शामिल किया जायेगा।इसमे हमारे कार्यकर्ता डोर-टू-डोर जाकर इस योजना मे जुड़े आपात्र लोगों को हटाएंगें।
अपात्र होंगें बाहर
वही मंत्री सिसोदिया ने पिछली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने संबल योजना के नाम पर फ़र्ज़ीवाडा किया। संबल योजना मे पिछली सरकर ने आपात्र लोगों के नाम जोड़े हैं। 2.20 लाख मे से लगभग 40 प्रतिशत आपात्र लोगों को बीजेपी ने संबल योजना का लाभ दिया है।बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं को संबल योजना का लाभ देकर श्रमिकों का निवाला छीना है, लेकिन मौजूदा सरकर ने इस योजना को फ़िल्टर कर ‘नया सबेरा’ नाम दिया है। इसमे हमारे कार्यकर्ता डोर-टू-डोर जाकर इस योजना मे जुड़े आपात्र लोगों को हटाएंगें।इसमें हर पंचायत में सचिव और नगरीय क्षेत्र के वार्ड प्रभारी , नोडल अधिकीरी के तौर पर कार्डों की जांच करेंगें।
जांच के बाद हो जाएगा दूध का दूध, पानी का पानी
मंत्री ने बताया कि इसके लिए पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग , नगरीय विकास एवं आवास और श्रम विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों को लगाया गया है।मप्र भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत बनाए गए कार्डों का भी सत्यापन करवाया जाएगा।सरकार ने इसके लिए एक जुलाई से 15 जुलाई तक समय दिया है।जांच अभियान में सभी संभागों के आयुक्त, कलेक्टर, श्रम आयुक्त, सभी नगर निगम के कमिश्नर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की निगरानी में चलेगा।इस मामले मे जाँच की जाएगी, जिसमें दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।