भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की नजर बड़े वोट बैंक पर है| पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए चुनाव से ठीक पहले 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा और दो दिन बाद ही अध्यादेश पर राज्यपाल की मंजूरी से यह साफ़ है कि लोकसभा चुनाव में इस बड़े वोट बैंक को साधने के लिए सरकार ने तैयारी कर ली है| अब कांग्रेस टिकट बंटवारे में भी यह दांव आजमाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ओबीसी कार्ड खेलेगी, पार्टी प्रदेश की कई सीटों पर ओबीसी नेता को मैदान में उतार सकती है। ऐसे में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ना तय है। कांग्रेस के इस कदम के बाद बीजेपी भी इस पर विचार कर सकती है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी करीब 52 फीसदी है, जिसे 14 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले ओबीसी का आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी का वादा पूरा कर वोटरों को अपनी तरफ करने की कोशिश की है। अभी तक बीजेपी दलित, आदिवासियों और ओबीसी को साधकर 15 साल तक सत्ता पर राज करने पर कामयाब हुई है, लेकिन पिछले साल आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के परंपरागत वोटबैंक में कांग्रेस सेंधमारी करने में कामयाब रही थी। दलित और आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी का सफाया हो गया। इसी का फायदा उठाकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी अपनी सीटें पक्की करने में जुट गई है। इसके लिए वह आरक्षण के बाद ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों पर भी जोर दे रही है।
सूत्रों के मुताबिक आठ लोकसभा क्षेत्र दमोह, खजुराहो, खंडवा, होशंगाबाद, सागर, भोपाल, मंदसौर और जबलपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग की 50 से 54 फीसदी आबादी बताई गई है। इन सीटों के अलावा रीवा, सतना जैसे लोकसभा क्षेत्रों में भी 48 फीसदी आबादी ओबीसी की बताई गई है। ऐसे में इन सीटों पर ओबीसी फैक्टर को ध्यान मे रखते हुए कांग्रेस प्रत्याशियों को मैदान में उतार सकती है। कांग्रेस के ओबीसी नेता लोकसभा चुनाव में अपनी प्रदेश सरकार के ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है। हालांकि वे अब लोकसभा चुनाव में भी आबादी के आधार पर अपने जीतने वाले नेताओं के लिए टिकट की दावेदारी में भी जुट गए हैं।