भोपाल।हरप्रीत कौर रीन। खंडवा लोकसभा उपचुनाव के लिए अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का नाम लगभग तय हो चुका है। उनके नाम का औपचारिक ऐलान ही बाकी है। प्रदेश की राजनीति में अचानक तेजी से बदलने जातिगत समीकरणों ने अरुण यादव का टिकट पक्का करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रदेश में सहकारिता आंदोलन के पुरोधा रहे स्वर्गीय सुभाष यादव के पुत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रह चुके अरुण यादव खंडवा लोकसभा उपचुनाव से कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। इस बात का अब औपचारिक ऐलान ही बाकी रह गया है। कांग्रेस के दिल्ली दरबार से अच्छे रिश्ते और प्रदेश अध्यक्ष रहते हुऐ कांग्रेस की मजबूती के लिए किए गए कार्य अरुण का टिकट पक्का कराने में मददगार साबित हुए। हालांकि इस बीच कमलनाथ के साथ उनके मतभेद की खबरें भी तेजी से आयी और कमलनाथ के खासमखास सज्जन वर्मा ने तो अरुण यादव पर कटाक्ष तक कर डाला। विरोधी कहने लगे कि अरुण बीजेपी का दामन थाम सकते हैं लेकिन अरुण ने यह कहकर कि, उनके नाम के आगे यादव लिखा है, सिंधिया नहीं, सारी अटकलों को विराम दे दिया और यह साफ कर दिया कि वह कांग्रेस में ही रहेंगे।
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दरअसल अरुण यादव का टिकट पक्का कराने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका प्रदेश में तेजी के साथ बदले जातिगत समीकरणों की है। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जिस तरह से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर राज्य सरकार को घेरा कि वह कोर्ट में इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही और जवाब में सत्ता और भाजपा संगठन दोनों की ओर से यह पलटवार आया कि यह वास्तव में कमलनाथ की सरकार के समय की गई कमी है जिसका खामियाजा अन्य पिछड़ा वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।
इस मुद्दे ने प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग के महत्व को एक बार फिर स्थापित कर दिया और अब ऐसे समय में जब अरुण यादव जैसा मालवांचल का कद्दावर नेता अन्य पिछङा वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, कांग्रेस के लिए अरुण को दरकिनार करना असंभव था। कमलनाथ के लिए भी बड़ी चुनौती कांग्रेस को एक रखकर आगे आने वाले नगरीय निकाय चुनावों के साथ-साथ लोकसभा व विधानसभा के उपचुनाव का सामना करना है और ऐसे में अरुण यादव के साथ समीकरण ठीक रखना खुद कमलनाथ के राजनीतिक भविष्य के लिए ठीक होगा,यह बात खुद कमलनाथ समझ चुके है।