‘अठन्नी में चवन्नी ज्यादा, रुपए में चवन्नी कम–बारह आना ज़िंदगी’

-Discussion-and-Lesson-on-Sudhir-Sharma's-Poetry-Collection

भोपाल| मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन की भोपाल ज़िला इकाई व्दारा शनिवार को युवा कवि सुधीर शर्मा की किताब बारह आना ज़िंदगी पर चर्चा एवं कविता पाठ का आयोजन किया गया… कार्यक्रम में अपने वक्तव्य में वरिष्ठ पत्रकार श्री शरद व्दिवेदी ने सुधीर की कविताओँ में मुझे अपनी ज़िंदगी का अक्स नज़र आता है..,ये किताब हमें खुद से रुबरू कराती है, सरल सहज अंदाज में बुनी कविताएं, ये कविताएँ किताब जनरेशन को लांघ जाएं। इस किताब को पढकर श्रोता वो सबकुछ एक्सप्लोर किया…इनमें बीते जमाने का  दशहरा है दिवाली , पूरी मिडिल क्लास ज़िंदगी है|

किताब पर अपनी बात रखते हुए कला समीक्षक और पत्रकार विनय उपाध्याय ने कहा वो लम्हा बारह आने ज़िंदगी के साथ जो छूट गयाहै…..सुधीर की कविताओँ का सरोवर कभी छूटेगा नहीं…कविता वो घर है जहां हम रह सकते हैं, जब हम बेचैन हो तन्हा हों, जब कुछ देहरी से छूटता नजर आए… जिंदगी के स्वाद में उतर सकते है, सुधीर अपनी उदासियों और छूट गई तिश्नगी के साथ आते हैं, भीतर जो हलाहल है….जो कोलाहल है वो कविताओँ में उतरता है…सुधीर ट्रांजेक्शन पीरियड के कवि हैं…हिंदी और उर्दू के साथ भी अपने समय की भाषा हाइवे पे तुम एक साथ आके देखो तो…चंद गुज़रे हुए तमाम आग्रह दुराग्रह से छिटक कर सुधीर ने अपनी बात कहीहै….जिगरका खून अगर हो…तो असर करता है, सुधीर शर्मा ने जो ओढा बिछाया चवन्नी बाकी रहे जिंदगी में…


About Author
Avatar

Mp Breaking News