भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अपने ट्वीट को लेकर चर्चा में है, शराबबंदी के ट्वीट के बाद अब उमा भारती ने जो ट्वीट किए है इस बार उन्हे लेकर वह फिर सुर्खियों में है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने रविवार रात एक के बाद एक 41 ट्वीट किए इन सभी ट्वीट में उन्होंने अपने मन की बात कही और उन बातों को उजागर किया जिसका राजनीति में बहुत कम लोग खुलासा करते है। इस दौरान उन्होंने गंगा सफाई अभियान मंत्री होने के दौरान विभाग बदलने की पीड़ा को भी उन्होंने सार्वजनिक किया। उमा भारती ने कहा कि उन्होंने गंगा की अविरलता को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की थी। यही वजह थी कि उनसे यह विभाग ले लिया गया था।
37. फिर तो जो होना था वही हुआ। अनुशासनहीनता तो की ही थी और इसीलिए जब नई राष्ट्रीय कार्य समिति घोषित हुई तो मैं उसमें सदस्य तो थी किन्तु पदाधिकारी नहीं थी, लेकिन मुझे कोई रंज ही नहीं है।
— Uma Bharti (मोदी का परिवार) (@umasribharti) July 10, 2022
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उमा भारती का ट्वीट : गंगा की अविरलता पर दिया गया मेरे मंत्रालय का एफिडेविट सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के विपरीत था। ऊर्जा, पर्यावरण एवं मेरे जल संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी बनी, जिसमें तीनों को मिलाकर गंगा पर प्रस्तावित पावर प्रोजेक्ट पर एफिडेविट बनाना था। फिर कैबिनेट सेक्रेटरी एवं पीएमओ की सहमति के बाद हमारे मंत्रालय के माध्यम से वह सुप्रीम कोर्ट में पेश होना था। तीनों मंत्रालयों की गंगा की अविरलता पर सहमति नहीं बन पा रही थी। भारत सहित विश्व के सभी पर्यावरण विशेषज्ञों की राय एवं अरबों गंगा भक्तों की आस्था दांव पर लगी थी। उन सबकी राय में हिमालय, गंगा एवं उसकी सहयोगी नदियों पर प्रस्तावित 72 पावर प्रोजेक्ट गंगा, हिमालय एवं पूरे भारत के पर्यावरण के लिए संकट का विषय थे। मैंने तथा मेरे गंगा निष्ठ सहयोगी अधिकारियों ने बिना किसी से परामर्श किए कोर्ट में एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया। उस एफिडेविट पर ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र रावत जी की सरकार ने अपनी असहमति दर्ज की। फिर कोर्ट ने तुरंत केंद्र सरकार से परामर्श करके उस एफिडेविट को अमान्य कर दिया। वह तो आज भी कोर्ट की संपत्ति है और शायद केंद्र की सरकार उसके विपरीत नया एफिडेविट पेश नहीं कर पाई है। स्वाभाविक है कि मैंने अनुशासनहीनता की, मुझे तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता था लेकिन गंगा की अविरलता तो बच गई। अमित शाह जी, जो हमारे उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, वह गंगा की अविरलता के पक्ष में हमेशा रहे। उन्हीं के हस्तक्षेप से मुझे निकाला नहीं गया किंतु विभाग बदल दिया गया, इतना तो होना ही था। विभाग नितिन गडकरी जी के पास पहुंचा और उन्होंने मुझे कभी गंगा से अलग नहीं किया। मुझे गंगा से जोड़ेे रखने की राह वह निकालते रहे जिस पर अमित शाह जी का भी समर्थन रहा। अमित जी अब केंद्र में गृह मंत्री हैं किंतु तब वह पार्टी के अध्यक्ष थे एवं उन्हीं की बात मानकर मैंने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।