आचार संहिता हटते ही आंदोलन पर उतरेंगे कर्मचारी संगठन

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भोपाल। प्रदेश में कर्मचारियों से तमाम वादे करके सरकार में आई कांग्रेस सरकार के खिलाफ कर्मचारी संगठन लामबंद होने की तैयारी में हैं। राजधानी में चुनाव नतीजे के अगले ही दिन 24 मई से दोबारा कर्मचारी आंदोलन की शुरुआत होगी। इस बार मुख्य मुद्दा सातवें वेतनमान के एरियर की दूसरी किश्त नहीं मिलना होगा। 

कर्मचारियों को किश्त मई महीने की पहली तारीख को मिलनी थी, जो अभी तक नहीं मिली है। इसके अलावा अग्रवाल वेतन आयोग की अनुशंसा, संविदाकर्मियों को नियमित करना, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद नाम बदलने वाली मांगें भी प्रमुख होंगी। साथ ही कर्मचारियों के खाते में बढ़े हुए डीए की राशि जमा नहीं हुई है। यह भी मांग में शामिल होगी। इन आंदोलनों को लेकर अभी से कर्मचारी संगठन रणनीति बना रहे हैं। 

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ये हैं कर्मचारियों की मांग

स्थाईकर्मी लगातार नियमित करने की मांग करते रहे हैं। इन्हें भरोसा ही मिला है, कार्रवाई कुछ नहीं हुई है। ये लोकसभा चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं।  पंचायतकर्मी, रोजगार सहायक और स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों में कार्यरत संविदाकर्मी भी बिना शर्त नियमितीकरण की मांग पर अड़े हैं। कांग्रेस ने इन्हें भरोसा दिया था। प्रदेश के 80 हजार लिपिक वेतन विसंगति समेत अग्रवाल वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने पर अड़े हैं। ये विधानसभा चुनाव के पूर्व सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। अध्यापकों का शिक्षा विभाग मे संविलियन समेत अन्य मांगों का अभी भी शत-प्रतिशत निराकरण नहीं हुआ है, ये लगातार सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। प्रदेश के सहकारी दुग्ध संघों के कर्मचारियों को छठवें और सातवें वेतनमान का लाभ देरी से मिला है। ये एरियर्स की मांग को लेकर अड़े हैं और पूर्व में आंदोलनों की चेतावनी दे चुके हैं।


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