डेस्क, रिपोर्ट। पूर्व IAS मनोज श्रीवास्तव को राष्ट्रीय कबीर सम्मान से सम्मानित किया गया है। रविंद्र भवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें यह सम्मान दिया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के अन्य सम्मान भी दिए गए।
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देश और प्रदेश के जाने-माने प्रशासक रहे मनोज श्रीवास्तव राष्ट्रीय स्तर के कबीर सम्मान से नवाजे गए हैं। रविंद्र भवन में आयोजित एक समारोह में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मनोज को प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ 3 लाख का चेक भी सौंपा। मनोज श्रीवास्तव हिंदी भाषा में विविध विषयों पर लगभग 36 किताबें लिख चुके हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में शिक्षा में संदर्भ और मूल्य, पशुपति, स्वर अंकित, करान कविताएं, मां, हिरण्यगर्भा, सती प्रसंग शामिल है। सुंदरकांड के 18 खंड लिखने वाले मनोज श्रीवास्तव को अयोध्या में राम किन्कर पुरस्कार और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और नेहरू केंद्र लंदन द्वारा इंटरनेशनल वातायन पुरस्कार मिल चुका है। केंद्रीय हिंदी संस्थान ने भी उन्हें 5 लाख और प्रशस्ति पत्र सहित विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित किया था। इंदौर कलेक्टर ,आबकारी आयुक्त, जनसंपर्क आयुक्त व प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री जैसे अति महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए मनोज ने शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए हमेशा प्रयास किए। लोग अब तक याद करते है कि जब मनोज मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव थे, तब वल्लभ भवन में उनके ऑफिस का दरवाजा गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए हमेशा खुला रहता था।
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इस अलंकरण समारोह में 2019 और 20 के पुरस्कार भी दिए गए। मनोज के अलावा डॉ विनय राजा राम को राष्ट्रीय कबीर सम्मान, शिवकुमार तिवारी और डॉक्टर सच्चिदानंद जोशी को राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कैलाश मंडलेकर और विजय मनोहर तिवारी को राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, जाकिया मसहदी और प्रोफ़ेसर अली अहमद फातमी को राष्ट्रीय बाल सम्मान दिया गया। सत्यनारायण सत्तन को वर्ष 2021 का राष्ट्रीय कवि प्रदीप संबंधी दिया गया।
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कबीर सम्मान से सम्मानित होने के बाद मनोज ने बताया कि जब वे एक महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हुआ करते थे, तब कबीर को एक कक्षा में पढ़ाते हुए उनका आधा वर्ष निकल जाता था। बाकी पाठ्यक्रम छुट्टियों के दिन और हर काम के लिए अतिरिक्त कक्षा लेकर पूरी करते थे। उन्होने गौरवानुभूति करते हुऐ कहा कि उन्ही कबीर के नाम पर मध्य प्रदेश शासन के इस सबसे बड़े पुरस्कार को पाकर अलग प्रसन्नता हुई।