भोपाल। सरकार के समर्थन मूल्य के भरोसे अपनी उपज का उचित दाम पाने की आस पर बैठे किसानों के लिए यह साल एक नई मुसीबत लेकर आने वाला है। दरअसल रबी की फसल के लिए इस बार सरकार ने बोनस की घोषणा नहीं की है जिसके चलते किसान परेशान है कि वे उपज बेचे तो कहां बेचे। इसी के चलते प्रदेश भर में केवल 8 लाख किसानों ने अभी तक समर्थन मूल्य खरीदी के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। केंद्र सरकार ने इस बार गेहूं के लिए 1925 रू प्रति क्विन्टल समर्थन मूल्य तय किया है। पिछले साल ये 1840 रूपये प्रति क्विन्टल था। पिछले वर्ष सरकार ने 160 रू प्रति क्विन्टल बोनस देने की भी घोषणा की थी जिसके कारण किसानों ने 2000 प्रति क्विंटल के हिसाब से समर्थन मूल्य गेहूं बेचा था।
इस बार समर्थन मूल्य की घोषणा न होने से किसानों के सामने भारी परेशानी है और अब यह तय है कि वे खुले बाजार में जब गेहूं बेचेंगे तो उनके सामने उचित मूल्य मिलने की समस्या मुंह बाए खड़ी होगी। हर साल करीब 20 लाख किसान समर्थन मूल्य खरीदी के लिए रजिस्टर्ड होते हैं और अब 28 फरवरी की अंतिम तिथि नजदीक आने को है। केवल 8 लाख किसानों का इस मामले में रजिस्ट्रेशन कराना यह बताता है कि किसानों का मोहभंग हो रहा है। सरकार की मुसीबत यह है कि उसके पास पहले से साठ लाख टन अनाज गोदामों में है जिसे केंद्र लेने के लिए तैयार नहीं है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांटने के लिए केवल 25 लाख टन गेहूं और चावल की जरूरत पड़ती है और इस से दो गुना ज्यादा स्टॉक में होने के कारण अब सरकार नई खरीदी करे तो करे कैसे।