शादियों के सीजन में अटका गेहूं का भुगतान, दरबदर भटक रहा परेशान किसान

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भोपाल|  समर्थन मूल्य में गेहूं खरीदी के बाद किसानों को भुगतान के लिए दरबदर भटकना पड़ रहा है| शादियों के सीजन में किसानों को जब रकम की सबसे ज्यादा जरुरत है, तब उन्हें खाते में अपनी फसल का भगुतान का इन्जार करना पड़ रहा है| किसानों को उपज का भुगतान तीन दिन के भीतर करने की बात कही जा रही थी, लेकिन दो हफ्ते बीत जाने के बाद भी हजारों किसानों के खाते में पैसा नहीं पहुंचा| चुनाव से ठीक पहले किसानों को हो रही समस्या आक्रोश बढ़ा रही है| 

दरअसल, किसानों को फसल का त्वरित भुगतान करवाने के लिए बनवाया गया जस्ट इन टाइम (जेआईटी) सॉफ्टवेयर के चलते यह समस्या आ रही है|  25 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुई थी। साढ़े सात लाख मीट्रिक टन गेहूं की बंपर खरीदी के बाद किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है। खरीदी के एक पखवाड़े के बाद सरकारी एजेंसियों ने अब 140 करोड़ रुपए के ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन 20 करोड़ रुपए के भुगतान फेल हो गए। अब तक 1250 करोड़ रुपए से ज्यादा की खरीदी हो चुकी है पर किसान भुगतान के लिए परेशान हैं। समर्थन मूल्य में गेहूं खरीदी के लिए बने खरीदी केंद्रों पर तेजी से आवक बढ़ रही है, वहीं जिन किसानों ने अपनी फसल तुला दी वो ही भुगतान के लिए चक्कर काट रहे हैं, अब जो नए किसान तुलाई करा रहे हैं उनके भुगतान में कितना समय लगेगा यह कोई बताने को तैयार नहीं है|  

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सरकारी एजेंसियां जिस सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रही हैं, वह भाजपा सरकार ���े कार्यकाल में बनाया गया था। धान खरीदी में इसकी वजह से पन्ना जिले के किसानों को करोड़ों रुपए का दो बार भुगतान हो गया था।  प्रदेश में अब तक एक लाख 17 हजार से ज्यादा किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई है। सहकारिता विभाग के सूत्रों के मुताबिक इसके बदले किसानों को 1250 से 1300 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। विभाग की एजेंसियों ने इस बार निर्णय लिया कि सारा पेमेंट ऑनलाइन जेआईटी साफ्टवेयर से किया जाए पर त्वरित भुगतान के लिए बनाए गए इस साफ्टवेयर से भुगतान की प्रक्रिया ही खरीदी के 16 दिन बाद शुरू हो पाई। इसमें करीब 15 हजार किसानों को डेढ़ सौ करोड़ का भुगतान किया गया है। खास बात ये है कि इस ऑनलाइन पेमेंट में दस फीसदी किसानों का ई-ऑर्डर फेल हो गया है। अब इन किसानों को भुगतान मिलने में और भी ज्यादा विलंब होगा।

वहीं सहकारिता विभाग की जो एजेंसियां उपज की खरीद में लगी हैं। उन्होंने अपने मैदानी अमले से कहा कि जिन किसानों को ई-पेमेंट नहीं पहुंच पा रहा है, उनके बारे में दी गई जानकारी गलत होगी। इसमें किसानों के बैंक खाते का नंबर सही नहीं होगा या वो बंद होगा, आईएफसी कोड गलत होगा अथवा जनधन योजना का खाता होगा। पहले जिला सहकारी बैंक के माध्यम से खरीदी केंद्र के स्तर से ही रुपए किसानों के खातों में जारी होते थे लेकिन इस बार एनआईसी भोपाल से ही किसानों के खाते में रुपए डालेगी। साफ्टेवयर में किसानों की सही जानकारी अपडेट नहीं होने से देर हो रही है| 


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