भोपाल।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में व्यापक अनियमितताओं को लेकर रविवार को दर्ज हुई एफआईआर विवादों के घेरे में है। दरअसल इस एफ आई आर में तत्कालीन कुलपति कुठियाला के ऊपर तो एफ आई आर दर्ज की गई है साथ ही साथ कई प्रोफेसरों के ऊपर भी अवैध नियुक्ति लेने का आरोप लगाकर मामला दर्ज कर लिया गया है। विश्वविद्यालय के प्रेस नोट में कहा गया है कि वर्ष 2003 से लेकर अब तक की गई नियुक्तियां विवादों के घेरे में है और इसलिए इनकी जांच के लिए इन पर मामला दर्ज होना जरूरी है। इन सबके बीच चौंका देने वाली बात यह है कि जिन दो प्रोफेसरों पवित्र श्रीवास्तव और आरती सारंग के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई है, उनकी नियुक्ति दिग्विजय सिंह के शासनकाल में वर्ष 2000 में हुई थी।

अब ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कार इन दोनों नियुक्तियों में भी क्या गड़बड़ी के पर्याप्त सबूत विश्वविद्यालय के पास थे जिनके आधार पर एफ आई आर दर्ज हुई या फिर आनन-फानन में जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की गई। एफआईआर में राजनीतिक रूप से भी निशाना साधा गया है। आरती सारंग पूर्व मंत्री विश्वास सारंग की बहन और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग की बेटी हैं उनके ऊपर कांग्रेस के शासनकाल में दर्ज एफआईआर पर राजनीतिक हड़कंप मचना स्वाभाविक है।