भोपाल। भोपाल के प्रतिष्ठित संस्था मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (मैनिट) के डायरेक्टर डॉ. एन.के. रघुवंशी के खिलाफ आधी रात में भोपाल के एससी,एसटी थाने में एट्रोसिटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। डॉ. रघुवंशी पर आरोप है कि उन्होंने एक अनुसूचित जाति के प्रोफेसर का डिमोशन किया और उन्हें जातिगत गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी। रघुवंशी के खिलाफ यह एफआईआर भोपाल जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश रामकुमार चौबे के आदेश के बाद दर्ज की गई।
मैनिट में प्रोफेसर वासुदेव देहलवार ने न्यायालय में परिवाद दायर कर अनुरोध किया था कि वे 2006 में मैनिट में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत हुए थे। मैनिट के नए डायरेक्टर डॉ. एन.के. रघुवंशी ने दुर्भावना से भूतलक्षी प्रभाव से उन्हें पदावनत कर दिया। जब वे अपना पक्ष रखने उनके कक्ष में गए तो उन्हें जातिसूचक गालियां दी और जान से मारने की धमकी दी। उन्हें धक्के देकर कक्ष से बाहर निकाला गया। इस संबंध में देहलवार ने स्थानीय पुलिस से लेकर आईजी और डीजीपी तक शिकायत की, लेकिन मैनिट के प्रभावशाली डायरेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
विशेष न्यायाधीश रामकुमार चौबे ने पांच फरवरी को सुनवाई कर स्थानीय पुलिस को डॉ. रघुवंशी के खिलाफ नियमानुसार प्रकरण दर्ज कर जांच के आदश दिए। भोपाल के एससी,एसटी थाने में गुरुवार को रात 11 बजे डॉ. रघुवंशी के खिलाफ धारा 3(1)(द )(धा) अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 एवं भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। डॉ. रघुवंशी पर आरोप है कि उन्हें टेक्निलॉजी का कोई अनुभव नहीं है वे मूलत: कृषि विशेषज्ञ हैं। मैनिट में वे अपने चहेतों का ग्रुप बनाकर स्टॉफ के लोगों को प्रताडि़त करने का काम कर रहे हैं। शिकायतकर्ता देहलवार ने आस्ट्रेलिया से पीएचडी की है। डॉ. रघुवंशी ने इसी को आधार बनाकर 13 साल बाद उनका प्रमोशन रद्द कर दिया।