भोपाल। सत्ता में आते ही वित्तीय स्तिथि से जूझ रही सरकार के सामने अब भी फंड जुटाने बडी समस्या बना हुआ है। ऐसे में सरकार शिवराज सरकार की ऐसी योजनाओं ���ो बंद करने में जुट गई है, जिससे शासन को नुक्सान ज्यादा और जनता को फायदा कम मिल रहा हो। हालाँकि इसे राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है और बीजेपी आरोप भी लगा रही है कि पूर्व सरकार की जनहितेषी योजनाओं को कमलनाथ सरकार द्वेषपूर्ण बंद कर रही है| अब खबर है कि सरकार बजट का हवाला देकर आने वाले दिनों में स्मार्ट फोन देने की योजना बंद कर सकती है। असल में, स्मार्ट फोन के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपए के बजट की मांग पर वित्त विभाग ने आपत्ति जताई है और जिसके बाद कहा जा रहा है कि सरकार इस पूरे मामले पर एक बार फिर से विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश के करीब पौने दो लाख छात्रों की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा। बता दे कि 2018 में भी 75 प्रतिशत उपस्थिति वाले लगभग पौने दो लाख स्टूडेंट्स को फोन दिए जाने थे।
दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग नियमित रूप से कॉलेज जाने वाले प्रथम वर्ष के छात्रों को स्मार्ट फोन देता है। मप्र के सरकारी कॉलेजों में हर साल लगभग पांच लाख नए छात्र प्रवेश लेते हैं। इनमें से कॉलेज में 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्र-छात्राओं को यह स्मार्ट फोन बांटे जाते हैं। स्मार्ट फोन की कीमत पहले 2300 रुपए थी। इसी के चलते पिछली सरकार ने 2017-18 के बजट में स्मार्ट फोन खरीदने के लिए 43 करोड़ का बजट निर्धारित किया था, लेकिन स्मार्ट फोन की घटिया क्वालिटी की शिकायत के बाद तब सरकार ने अच्छी क्वालिटी के फोन खरीदने के निर्देश दिए थे। विभाग ने 2018 में एक बड़ी मोबाइल कंपनी के 7 हजार रुपए के एंड्रॉयड फोन खरीदने की तैयारी की थी, इससे विभाग का बजट 43 करोड़ से बढ़कर डेढ़ सौ करोड़ रुपए हो गया है। लेकिन इस बार अभी तक संबंधित कंपनी को फोन खरीदने का ऑर्डर तक जारी नहीं हो पाया है। विभाग ने अक्टूबर में मोबाइल फोन से संबंधित फाइल सरकार के पास भेजी थी, आचार संहिता लगने से इस पर निणर्य नहीं हो पाया था। नई सरकार आने के बाद विभाग दो बार यह फाइल सरकार के पास भेज चुका है, लेकिन अभी तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि डेढ़ सौ करोड़ रुपए के बजट की मांग पर वित्त विभाग ने आपत्ति जताई है, ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार यह योजना बंद कर सकती है।
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माना जा रहा है बजट के ज्यादा होने के चलते सरकार इस तरह का फैसला ले सकती है।चुंकी सरकार हाल ही में चार से पांच बार कर्ज ले चुकी है, ऐसे में सरकार के सामने जनता से किए गए वादों को पूरा करना चुनौती बना हुआ है। सरकार की मंशा पहले किसानों का कर्जा माफ करना है। ऐसा करके सरकार नगरीय निकाय चुनाव में बड़ा फायदा उठाने की फिराक में चल रही है। अगर सरकार ये योजना बंद करती है तो लाखों छात्रों की नाराजगी झेलनी पड सकती है।
पांच साल से मिल रहा फोन
मप्र शासन ने 2014 में सरकारी कॉलेज के फर्स्ट ईयर के 75 फीसदी अटेंडेंस वाले विद्यार्थियों को स्मार्टफोन देने की योजना बनाई थी, पिछले सत्र से इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह योजना कॉलेज ड्रापआउट संख्या को कम करने के लिए बनाई गई थी। हालांकि पिछली भाजपा सरकार ने ही विद्यार्थियों को मोबाइल आवंटित करने के लिए पर्याप्त बजट ना होने का कारण गिनाया था और मोबाइल खरीदी के लिए टेंडर नहीं हो सका था। अब राज्य में कांग्रेस सरकार भी बजट के अभाव में मोबाइल नहीं खरीद पा रही है।