लंपी वायरस : सरकार ने किये पुख्ता इंतजाम, बीमारी से ऐसे आप भी बचा सकते हैं अपने पशु को

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पशुओं में होने वाले लंपी वायरस को लेकर पशुपालक बहुत चिंतित हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में कुछ जिलों में पिछले दिनों इनकी बढ़ती संख्या ने घबराहट पैदा कर दी है लेकिन पशु चिकित्सा विशेषज्ञों ने पशुपालकों को सलाह दी है कि वे घबराएं नहीं, ये रोग घातक नहीं है , इसमें पशु की जान जाने के मामले नहीं आये हैं। विशेषज्ञों ने कुछ सलाह और सरकार के इंतजाम की जानकारी उपलब्ध कराई है, जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।

पशुपालन विभाग के प्रबंध संचालक डॉ एचबीएस भदौरिया ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ के संपादक गौरव शर्मा से मोबाइल पर बात करते हुए सरकार के इंतजामों की चर्चा की और लंपी वायरस से बचाव के उपाय भी बताये। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के जिन 16 जिलों में पशुओं में लंपी वायरस के केस मिले हैं वहां सबसे पहले प्रतिबंधात्मक एक्शन लिया गया है।  कलेक्टर के माध्यम से पशुओं के आवागमन पर  रोक लगा दी गई है।

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उन्होंने कहा कि राजस्थान और गुजरात में लंपि वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर धारा 144 लगाकर ही प्रयास किये जा रहे हैं।  इससे पशु एक जगह से दूसरी नहीं जा सकेगा, राज्य के अंदर  और राज्य के बाहर दोनों जगह उसके मूवमेंट पर रोक रहेगी तो वायरस के फैलने का खतरा कहीं रहेगा।

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डॉ भदौरिया ने बताया कि सरकार ने वैक्सीन और दवाइयों का पर्याप्त इंतजाम कर लिया है, कहीं कमी नहीं है , भोपाल से वैक्सीन भेजी जा रही है और जिन जिलों में अतिरिक्त राशि उपलब्ध है उनसे वहीँ वैक्सीन खरीदने के लिए कह दिया गया है। उन्होने बताया कि गोट में जो पॉक्स होती है उसमें जो वैक्सीन इस्तेमाल होती है वही इस्तेमाल की जा रही है इसका 3ml डोज दिया जा रहा है जो पर्याप्त है।

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डॉ भदौरिया ने पशुपालकों से कहा है कि घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है , इस रोग पर रोकथाम संभव है इसमें लक्षण तो मिलते है लेकिन इसके फैलने की क्षमता 2 से 5 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा कि दूध देने वाले पशु पर यदि लंपी वायरस का अटैक होता है तो उसके चार पांच दिन दूध देने की कैपिसिटी कम हो जाती है।

डॉ भदौरिया ने पशुपालकों को सलाह दी कि हमें वायरस की रोकथाम के उपाय पर ध्यान देना है गांव में भूसा और नीम की पत्तियां मिलाकर जलाएं, मच्छरों को पैदा नहीं होने दें , पशु और अपने आसपास साफ सफाई रखें। पशु को इम्यूनो माडयूलर अथवा ऐसी चीजें दें जिससे उसकी इम्युनिटी बढ़े।  मजबूत इम्युनिटी वाले पशु पर लंपी वायरस का अटैक कम होगा।

उन्होंने कहा कि देखने में ये आया है कि लंपी वायरस भैंस में कम है लेकिन गाय को अधिक प्रभावित कर रहा है इसलिए यदि रोग हो जाये तो उसका उचित इलाज करवाएं।  डॉ भदौरिया ने बताया कि सरकार इस रोग को लेकर बहुत गंभीर है , किसी भी समस्या पर सरकारी मदद पशुपालक के पास पहुचं रही है। उन्होंने बताया कि जितने भी सरकारी फार्म और सीरम सेंटर हैं उसमें सब्भी पशुओं को वैक्सीन लगा दी है साथ ही आसपास के 5 किलोमीटर रेडियस में जितने भी पशु हैं उन्हें भी वैक्सीन लगा दी है।

डॉ भदौरिया में कहा कि पशुपालकों को “सुरक्षा ही बचाव है” के मन्त्र को ध्यान में रखते हुए अपने जानवर को बीमारी से बचाना है और यदि संक्रमण दिखाई देता है तो नजदीकी पशु चिकित्सालय अथवा पशु चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेनी है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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