भोपाल।
अतिथि विद्वानों के लिए राहत भरी खबर है। लंबे इंतजार के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी कॉलेजों से निकाले गए अतिथि विद्वानों को कॉलेजों का आवंटन कर दिया है। अब कॉलेज के प्राचार्य अतिथि विद्वानों को पदभार ग्रहण कराएंगे। यह नियुक्ति सिर्फ अगले पांच महीने के लिए की गई है। इतना ही नही इसके साथ अतिथि विद्वानों की सेवा शर्तें भी जारी की गई है। इसके तहत अतिथि विद्वानों को प्रतिदिन 5 घंटे की सेवा कॉलेज में देना अनिवार्य होगा।
दरअसल, लोक सेवा आयोग के जरिए चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदभार संभालने पर करीब ढाई हजार अतिथि विद्वानों को कॉलेज से निकाल दिया गया था। कॉलेज से निकाले गए अतिथि विद्वान पिछले करीब दो महीने से राजधानी के शाहजहांनी पार्क में धरना दे रहे हैं।लेकिन धरना धीरे धीरे राजनैतिक रुप लेना लगा है, सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता खुलकर अतिथि विद्वानों को समर्थन कर रहे है, ऐसे में निकाय और उपचुनाव से पहले खड़े होते बखेड़े को रोकने के लिए सरकार ने आनन फानन में दोबारा नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है।हालांकि नियुक्ति सिर्फ 680 को दी गई है, जबकी कॉलेजों से करीब ढाई हजार अतिथि विद्वान निकाले गए है। बाकियों को लेकर अभी कोई फैसला नही किया गया है, जिसके चलते अतिथि विद्वानों में नाराजगी है।
नियुक्ति में शर्त, अतिथि विद्वान नाराज
680 अतिथि विद्वानों को नियुक्ति देने के साथ ही उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वानों की सेवा शर्तें भी जारी कर दी हैं। इसके तहत अतिथि विद्वानों को प्रतिदिन 5 घंटे की सेवा कॉलेज में देना अनिवार्य होगा। जबकि प्रति सप्ताह 40 घंटे कॉलेज में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।अतिथि विद्वानों की नियुक्ति सिर्फ पांच महीने के लिए की जा रही है। इसके अनुसार अतिथि विद्वानों की नियुक्ति इस साल 30 जून तक के लिए है। उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि किसी कॉलेज में पद खाली नहीं होने के बावजूद अतिथि विद्वानों की नियुक्ति हो गई है तो उन्हें सेवा में नहीं रखा जाएगा।