भोपाल। आरटीओ अरुण सिंह को एक पद ऊपर के रैंक आरटीए व डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति शासन द्वारा अवैध रूप से दी गई थी। यह आपत्ति आरजे फौजदार बस सर्विस की ओर से दर्ज कराई गई थी। इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपील की गई कि आरटीओ अरुण सिंह को एक पद ऊपर की रैंक आरटीए व डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति शासन द्वारा अवैध रूप से की गई। साथ ही अपील में यह भी कहा गया था कि यह पदस्थापना वैधानिनक नहीं है। इस कारण अरुण सिंह कोई परमिट संबंधी कार्य नहीं कर सकते हैं। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए अरुण सिंह के परमिट जारी करने के आदेश निरस्त कर दिए हैं। दरअसल आरजे फौजदार बस सर्विस की ओर से भोपाल में आपत्ति दर्ज कराई गई थी कि इसकी पदस्थापना वैधानिक नहीं है इस कारण आप कोई परमिट संबंधी कार्य नहीं कर सकते हैं। ऐसी व्यवस्था हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में रिट पिटिशन क्रमांक 4001 / 2017 में स्थापित की हुई है जो भोपाल के बस संचालक सुरेंद्र तनवानी द्वारा दायर की गई थी। इसके बावजूद अरुण सिंह द्वारा हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए परमिट संबंधी कार्य करते हुए परमिट जारी किए। इस अवैध प्रक्रिया के विरुद्ध आरजे फौजदार बस सर्विस द्वारा हाईकोर्ट में रिट पिटिशन क्रमांक 27 742/ 2018 दायर की, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा उस याचिका को सुनवाई करते हुए अरुण सिंह द्वारा किए गए संबंधित परमिट के आदेश को अपास्त कर दिया। साथ ही आरजे फौजदार बस सर्विस द्वारा हाईकोर्ट की अवमानना के याचिका क्रमांक 3328/ 2018 भी दायर की है भी जिसे अरुण सिंह के विरुद्ध हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करने के आदेश दे दिए हैं।
डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के परमिट संबंधी अधिकार हाईकोर्ट ने किए निरस्त
Published on -