MPPSC 2019 मामले में हाइकोर्ट ने स्टे लगाया था और अब छात्र फिर सुप्रीम कोर्ट जाने की कर रहे तैयारी

supreme court

Madhya Pradesh Public Service Commission : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा पीएससी-2019 के मेरिट लिस्ट के मर्जर और नॉर्मलाइजेशन ऑर्डर पर स्टे लगाए जाने के बाद अब छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना शुरू कर दिया है, क्योंकि इस ऑर्डर के बाद 389 छात्र इंटरव्यू से बाहर हो गए है।

छात्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा हाईकोर्ट में यह अवगत नही करवाया गया कि जिस ऑर्डर के खिलाफ उन्होंने याचिका लगाई है, उस ऑर्डर के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट में पूर्व में ही दायर की जा चुकी है, ऐसी स्थिति में एमपीपीएससी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका का निराकरण करवाना चाहिए।

क्या है मांग

छात्रों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट में एमपीपीएससी 2019 के संबंध में 3 याचिकाएं दायर है जिसमें एमपीपीएससी द्वारा एक भर्ती के लिए 2 परीक्षाएं एवं नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ लगाई है जिसमे तय होना है कि 2 परीक्षाएं और नॉर्मलाइजेशन हो सकता है या नही। साथ ही यह तय होना है कि 389 के साक्षात्कार होना है या नही।

छात्रों का कहना है कि एमपीपीएससी को 29 नवंबर 2022 के मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि एमपीपीएससी को पूर्व में घोषित किये गए मेंस परीक्षा परिणाम और स्पेशल मेंस परिणाम को मिलाकर नॉर्मलाइजेशन करना था लेकिन एमपीपीएससी ने स्पेशल मेंस के साथ 10767 विद्यार्थियों के साथ नॉर्मलाइजेशन किया है जिसके कारण पूर्व में साक्षात्कार के लिए चयनित 389 छात्रों को बाहर कर दिया गया और जो छात्र पूर्व में मेंस में असफल थे उनमें लगभग 210 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुला लिया गया है।

क्या है पूरा मामला

  • दरअसल, अगस्त में जबलपुर एकलपीठ द्वारा एमपीपीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर नई नार्मलाइजेशन लिस्ट बनाने के निर्देश और अनारक्षित वर्ग के याचिकाकर्ताओं को इंटरव्यू में शामिल करने के आदेश जारी किए थे, ऐसे में एकलपीठ के आदेश के बाद नए सिरे से कार्रवाई करनी थी लेकिन इससे पहले ही इसके खिलाफ आयोग ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी।
  • इस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने आदेश पर रोक लगा दी है। इस दौरान पीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह, हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह व अंशुल तिवारी ने पक्ष रखा था। अब अगली सुनवाई फरवरी में होगी।
  • इतना ही नहीं अगस्त में एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि आरक्षित वर्ग के 2,721 अभ्यर्थियों का स्पेशल मेंस परीक्षा का आयोजित किया जाए। समस्त अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा के अंको का नॉर्मलाइजेशन करके साक्षात्कार की प्रक्रिया तीन महीने के अंदर पूरी की जाए, जिसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गई थी, जो अबतक लंबित है।

mppsc

छात्र आकाश पाठक ने बताया कि एमपीपीएससी ने पूर्व में ही कई गलत नियमों के कारण यह परीक्षा उलझाकर रखी है, वहीं नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ लड़ रहे है जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है जो अभी तय नही हुआ है लेकिन वर्तमान में हाईकोर्ट के 29 नवंबर 2022 को दिए गए आदेश के अनुसार इन 389 लोगों को बाहर करना गलत है, वहीं हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के दिए गए आदेश के अनुसार यह प्रक्रिया आगे नही बढ़ी है इसलिए अभी परिणाम जारी नही करना चाहिए और अब हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर के खिलाफ छात्र सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुँच रहे है तो लोकसेवा आयोग को इसकी सुनवाई के पश्चात ही आगे बढ़ना चाहिए तब तक के लिए परिणाम जारी नही करना चाहिए अन्यथा इस परीक्षा में नई समस्याएं आ जाएंगी।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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