अब बोरवेल खुला छोड़ा तो खैर नहीं, प्रशासन ने इन अधिकारियों को भी सौंपी जिम्मेदारी

Atul Saxena
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MP News : मप्र में पिछले दिनों बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसे लेकर अब सरकार भी गंभीर है, सुप्रीम कोर्ट में भी सरकारों को इसपर तुरंत ठोस एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं, इस क्रम में अब भोपाल जिला प्रशासन ने एक आदेश निकाला है और उपयोग में नहीं आने वाले बोरवेल को ढंकने के सख्त आदेश दिए हैं साथ ही संबंधित अधिकारियों को  मॉनिटरिंग के निर्देश भी दिए हैं।

खुले बोरवेल को लेकर कलेक्टर के सख्त आदेश? 

भोपाल कलेक्टर एंव जिला दंडाधिकारी आशीष सिंह ने एक आदेश जारी कर कहा है कि अब से बिना उपयोग में आ रहा एक भी बोरवेल खुला हुआ नहीं मिलना चाहिए, उन्होंने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला/जनपद पंचायतों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर खुले बोरवेल बंद करवाएं।

मकान मालिकों, किसानों या संस्थाओं को क्या करना होगा?

कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा कि जिन मकान मालिकों, किसानों या संस्थाओं ने बोरवेल खुदवाया है और उसका उपयोग नहीं हो रहा है या उसमें मोटर नहीं डली है और वे खुले पड़े हैं तो उसे तत्काल बंद करें, उसपर लोहे की कैप लगवाएं, कैप/ढक्कन मजबूत होना चाहिए और नट बोल्ट से कसा हुआ होना चाहिए।

PHE के कार्यपालन यंत्री को क्या करना होगा?

कलेक्टर आशीष सिंह पीएचई के कार्यपालन यंत्री को निर्देश दिए हैं कि वे शासन के निर्देशों के अनुसार एक पोर्टल विकसित करें जिसमें जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत और नगर पालिक निगम, नगरीय निकाय द्वारा खोदे जाने वाले नए नलकूप (बोरवेल) की पूरी जानकारी जिसमें उसका पंजीयन, मशीन के पंजीयन की जानकारी, ठेकेदार की जानकारी और बंद पड़े, ख़राब पड़े बोरवेल की पूरी जानकारी हो और लगातार इसकी मॉनिटरिंग भी हो।

उल्लंघन किया तो क्या मिलेगी सजा?

भोपाल डीएम आशीष सिंह ये दंड प्रक्रिया संहिता 1973  की धारा 144 के तहत ये प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है इसका पालन करना सभी के लिए आवश्यक है जो भी इसका उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी। उनके खिलाफ FIR दर्ज होगी और जेल भी हो सकती है।

अब बोरवेल खुला छोड़ा तो खैर नहीं, प्रशासन ने इन अधिकारियों को भी सौंपी जिम्मेदारी


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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