भोपाल। आधी आबादी का जिम्मा उठाने वाली महिलाओं को बीजेपी ने पार्टी के संगठनात्मक चुनाव में दरकिनार कर दिया है। संगठन को मजबूत करने के लिए काम कर रही महिलाओं के हाथ निराशा लग रही है, मंडल से लेकर जिला अध्यक्ष के पद तक कहीं भी महिलाओं को जगह नहीं दी जा रही है। मध्यप्रदेश में अब तक मंडल अध्यक्ष के 900 में से सिर्फ एक पद पर महिला को नियुक्त किया गया। महिलाओं का यही हाल जिलाध्यक्ष पद पर भी है। हालांकि अभी कई जिलों के नामों को लेकर रायशुमारी जारी है। जिलाध्यक्ष के लिए कई महिलाओं ने दावा पेश किया था, लेकिन महिलाओं की पैरवी करने वाली बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर साफ दिख रहा है। साथ ही इस पूरी प्रक्रिया के बीच भाजपा की संवैधानिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं जिसमें पार्टी में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण है। हालांकि बीजेपी के कर्ता-धर्ताओं का कहना है कि अभी संगठन का गठन होना है जहां महिलाओ का और पार्टी संविधान का ध्यान रखा जाएगा
मध्यप्रदेश में बीजेपी संगठन पर नजर डाले तो
- भाजपा ने 900 मंडल अध्यक्षों का ऐलान किया है इनमे महज एक मंडल महिला को नियुक्त किया है।
- मध्य प्रदेश के 57 संगठनात्मक जिलों में से 33 में हुए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में एक भी पद महिला नेत्रियों को नहीं मिला है।
- वर्तमान प्रदेश संगठन में चार महामंत्री में महिला नहीं है वंही 10 उपाध्यक्ष में से महज दो महिला प्रदेश उपाध्यक्ष है।
विधानसभा चुनाव में दरकिनार किया था बीजेपी ने महिलाओं को
33 प्रतिशत महिला आरक्षण की वकालात करने वाली बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में भी 33 प्रतिशत महिलाओ को टिकिट नहीं दिया। लोकसभा में भी 29 से महज 3 टिकिट ही महिलाओं को दिया था। फिलहाल न ही प्रदेश अध्यक्ष महिला है और न ही किसी जिले की जिला अध्यक्ष। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी महिलाओं को मौका देगी। अब भविष्य में बीजेपी मुख्यालय में होने वाली बैठकों में महिला आरक्षण की गूंज भी सुनाई देगी। पार्टी संगठन में महिलाओं की उपेक्षा से महिला सदस्य बेहद आहत और नाराज हैं, लेकिन खुलकर कुछ कहने से बच रही हैं। बीजेपी एकमात्र राजनीतिक दल है जो महिलाओं को आरक्षण देता है। छोटे से छोटे कार्यकर्ता ज़िलाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष बन सकता है, बावजूद इसके संगठन चुनाव में महिलाएं किनारे कर दिया गया है।