भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अवैध रेत उत्खनन (Illegal Sand Mining) रोकने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) के सख्त निर्देशों के बाद भी मंत्री मीना सिंह मांडवे (Minister Meena Singh Mandve) की विधानसभा में नदियों से अवैध रेत उत्खनन जारी है। जिला उमरिया कलेक्टर से लेकर स्थानीय प्रशासन, वन विभाग के आला अधिकारी आंख पर पट्टी बांधे हुए बैठे हैं या यूँ कहें कि जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। नतीजा ये है रेत माफिया कि ना सिर्फ सरकार को राजस्व की हानि पहुंचा रहा है बल्कि नदियों का सीना भी छलनी कर रहा है।
अवैध रेत उत्खनन का मामला आदिम जाति कल्याण विभाग की मंत्री मीना सिंह मांडवे के विधानसभा क्षेत्र मानपुर जिला उमरिया का है। यहाँ बेख़ौफ़ रेत माफिया खदानों में नदी की धारा में रैंप बनाकर लाखों घन फुट रेत निकाल चुका है और ये सिलसिला अभी भी जारी है। रेत माफिया ना सिर्फ मप्र शासन के नियमों के विपरीत ही कार्य नहीं कर रहा बल्कि वो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों की भी धज्जियां उड़ा रहा है।
अवैध रेत उत्खनन की जानकारी मिलते ही वन विभाग सामने आया और उसने खदानों की दी गए NOC निरस्त कर दी। प्रशासन को वन विभाग ने सूचित किया की वन क्षेत्र में रेत खनन से पर्यावरण और वन्य प्राणियों के पेयजल की हानि होगी इसलिए खदान रद्द की जाये। लेकिन शासन को सूचित कर इतिश्री करने वाले वन अफसर अवैध उत्खनन पर चुप्पी साध गए।
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उधर वन विभाग के एक्शन से उमरिया कलेक्टर सहमत नहीं दिखे, कलेक्टर ने तर्क दिया कि पहले वन विभाग ने NOC जारी की तब रेत खदान नीलाम हुई अब अचानक NOC रद्द कर रहा है तो नीलाम खदान को कैसे निरस्त किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो शासन को ठेकेदार को क्षतिपूर्ति देनी होगी, राजस्व कि हानि होगी, फारेस्ट को चाहिए कि वह प्रक्रिया विधि के अनुसार कार्यवाही करे। कलेक्टर संजय श्रीवास्तव का कहना है कि रेत का खनन नियम के अनुसार चल रहा है, शिकायत आती है तो हम कार्रवाई करते हैं, जुर्माना भी करते हैं।
कलेक्टर के कार्रवाई करने के दावे पर ज़ब मीडिया ने उन्हें दर्जनों खदानों में नदी के बीच से रैंप बनाकर हो रहे खनन के फुटेज दिखाए तो कलेक्टर ने तत्काल जांच टीम भेजने की बजाए कहा कि जांच करा लेंगे, लेकिन जांच की रफ़्तार क्या है किसी को नहीं मालूम अलबत्ता रेत उत्खनन की रफ़्तार जरूर तेज है।
खास बात यह है कि मानपुर उमरिया दलित शोषित प्रधान जिला है और दलितों के जल की, पर्यावरणीय हितों की रक्षा नहीं हो पा रही है। उल्टा रेत ठेकेदार को जितने नाके लगाने की अनुमति जिला प्रशासन ने दी है उससे दोगुनी संख्या में नाके लगाए गए है, यहाँ तक की पड़ोसी जिले कटनी की सीमा में भी उमरिया ठेकेदार के नाके तैनात हैं।
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आपको बता दें कि मानपुर उमरिया में लगभग 15 रेत खदाने हैं जिनमें सभी खदानों में हेवी मशीनों से नदियों के बीच से धारा को रोक कर रेत निकाला जा रहा है जिससे आसपास के करीब आधा सैकड़ा गांवों में भूजल स्तर गिर रहा है। कुएं, तालाब, नलकूप, हैंडपंप आदि सूखने की कगार पर हैं, पर्यावरणीय संतुलन अलग ख़राब हो रहा है।
जानकारी के अनुसार मानपुर की अखडार खदान, मोहबला मानपुर खदान, सलैया, पड़वार, कुण्डी आदि खदानों में रैंप बनाकर दिन रात रेत खनन चल रहा है। ज़ब कलेक्टर संजय श्रीवास्तव से पूछा तो उनका कहना था की नदी के किनारे से मुख्य सड़क तक रास्ता बनाया जा सकता है, रैंप बनाने की शिकायत आएगी तो जाँच कराएंगे।
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गौरतलब है कि मानपुर उमरिया कि रेत खनन का ठेका आर एस आईं स्टोन वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी का है। मानपुर के बफर जोन में चल रही रेत खदान की अनुमति के सवाल पर कलेक्टर ने कहा कि वहां तो कोई खदान स्वीकृत नहीं है, लेकिन चल रहे खनन पर यह कहकर टाल गए कि शिकायत आती है तो जाँच करेंगे। अब कलेक्टर का ये रवैया कई संदेहों को जन्म देता है, क्षेत्र में लोग चर्चा कर रहे हैं कि मंत्री मीना सिंह की विधानसभा में अवैध उत्खनन हो रहा है तो क्या इसकी भनक उन्हें नहीं होगी। लोग ये भी चर्चा कर रहे हैं कि आखिर कलेक्टर संजय श्रीवास्तव को बिगड़ते पर्यावरण संतुलन और स्थानीय लोगों के पेयजल की जगह रेत ठेकेदारों की चिंता क्यों ज्यादा है?